THE BIKANER NEWS :-बीकानेर।
छोटी काशी कहे जाने वाले बीकानेर में होली आज भी जीवित है । बीकानेर के परकोटे में बसे शहर की गलियों और चोको में परंपराओं के आधार पर होली मनाई गई। पूरे दिन शहर के बारह गुवाड़,साले की होली, दमानि चौक,हर्षो का चौक और गलियों में गेवरियो की टोलियां सुबह आठ बजे से ही सड़कों पर उतर गई थी। शाम को मौसम बदलने तक सड़कों और गलियों में रंगों से सराबोर लोग नजर आए। मंगलवार को पूरे दिन होली की मस्ती सिर चढ़कर बोल रही थी। पूरा शहर रंगमय नज़र आ रहा था। नत्थूसर गेट पर तणी तोड़ने का दृश्य देखने के लिए जहां हजारों की संख्या में लोग एकत्र हुए, वहीं शहर में एक के बाद एक गेवर का सिलसिला चलता रहा। अनेक चौक और मोहल्लों में बड़े बुजुर्ग सुबह से शाम तब बैठे रहे। तणी तोड़ने के लिए हर वर्ष की तरह इस बार भी कई युवाओं ने प्रयास किया। आखिरकार तणी तोड़कर ही युवाओं ने दम लिया। जब युवक तणी तोड़ने ऊपर चढ़ता है तो उसका ध्यान भटकाने के लिए कई तरह की टिप्पणी की जाती है, रंग और गुलाल फैंकी जाती है। इसके बाद भी तणी तोड़ने में सफलता मिलती है। जैसे ही तणी टूटती है, वैसे ही सैकड़ों लोग जयकारा लगा देते हैं। तणी के बाद पुजारी बाबा की गेवर निकलती है जिसमे पूरे शहर के गेवरिये ताल से ताल मिलाकर चलते है और दमानि चौक में होली का समापन करते है।
डॉ. कल्ला भी घूमे शहर में
इस बीच शिक्षा मंत्री डॉ. बी.डी. कल्ला भी शहर में घूमे। उन्होंने विभिन्न मोहल्लों में पहुंचकर लोगों के साथ होली खेली। कई जगह डॉ. कल्ला ने होली से जुड़े परंपरागत गीत गाए। उन्होंने खुद चंग पर धमाल भी सुनाई। इससे पहले होली पर सोमवार को देर रात तक डॉ. कल्ला परकोटे के कई शहरों में घूमते नजर आए