बड़ा बाज़ार हावड़ा हिंदमोटर सहित पूरे महानगर में गणगौर उत्साह चरम पर

कोलकाता खबर:-बड़ा बाजार महानगर समेत उपनगरीय क्षेत्रों में गणगौर उत्सव की धूम मची है गणगौर पूजन तथा
सिंधारा का आयोजन जगह जगह हो रहा है। राजस्थान का
ये पारंपरिक त्यौहार का उत्साह इन दिनों कोलकाता से लेकर
उपनगरीय क्षेत्रों में चरम पर है। 24 मार्च से शुरू होने वाले गणगौर मेले के पहले प्रवासी राजस्थानीन महिलाओं ने रविवार को अपने मकानों और कम्प्लेक्स में सामूहिकनरूप से गणगौर के गीत गाए। रविवार दिनभर रुक रुक कर हो रही बारिश भी महिलाओं का उत्साह कम नही कर पाई और गणगौर पूजन तथा
गायन में बड़ी संख्या में महिलाओं ने हिस्सा लिया बड़ाबाजार से लेकर हावड़ा रिसडा, हिंदमोटर आदि सहेलियां संघ हिंदमोटर द्वारा आयोजित र सिधारा में शामिल महिलाएंनहावड़ा में गणगौर का उत्साह चरम पर धूम रही। सुयोग्य वर तथा सौभाग्य
की कामना लिए किये गए पूजन के साथ गीत गायन में पारंपरिक लोक गीतों के साथ ही नई रचनाओं का भीनगायन किया गया। सहेलियां संघ हिंदमोटर द्वारा रविवार शाम हिंदमोटर में गणगौर पूजन तथानसिंधारा का आयोजन किया गया। इस अंकिता भूतड़ा ने बताया कि इसर और गैर की आराधना के इस पर्व पर
हम प्रत्येक वर्ष पूजन करते हैं। इसमें जयश्री मूधड़ा, गरिमा चाडकननिकिता कोठारी आदि सक्रिय रही। बड़ाबाजार में भी जगह जगह गणगौर गीत गाये गए। 1नम्बर ढाका पट्टी में श्री श्याम सुंदर बागड़ी के यहां भी सिंधारा किया गया घर की बहू बेटियों ने गवर माता को बीकानेरी गीतों से रिजाया,निधि बागड़ी वर्षा सादानी,मंजू डागा,वर्षा लखोटिया,अंजू बागड़ी,कमला सादानी राधिका आर्या व्यास अन्वी व्यास ने गीत गाये।

मकान की छत पर प्रवासी राजस्थानी महिलाओंनराजस्थान की कला-संस्कृति का संयोजन
बड़ाबाजार निवासी शांति व्यास ने बताया कि यह ऐसा पर्व है जिसमें राजस्थान की कला संस्कृतिन का संयोजन है जिसे हम
राजस्थान से दूर रहते हुए भी उत्साह के साथ सामूहिक तौर
पर मनाते हैं। उधर हावड़ा मेंनगणगौर का उत्साह चरम पर है।
हावड़ा के गोकुल बैंक्वेट में बाहेती परिवार द्वारा गत दिनोंबआयोजित गणगौर कार्यक्रम में काफी संख्या में महिलाओं व युवतियों ने हिस्सा लिया। यह प्रवासी परिवार सीयल
(बीकानेर) का निवासी है तथा अपनी रोचक अनोखी प्रस्तुतियों
के लिए जाने जाते हैं। 15 दिनों तक चलने वाले इस पर्व कोनमारवाड़ी समाज की युवतियां राजस्थान से मीलों दूर बंगाल
की धरती पर अपनी गौरवशाली परम्परा को न केवल बखूबी
निभा रही है बल्कि और समृद्ध बनाने में जुटी है। नादान इसर जी घूम रहवा गलियां में, बना रे बागा म झूला घाल्या, हरया
हरया बागां में मेहंदी का आदि गीत गाये..