प्रतिबन्ध के बावजूद वस्तुए मिल रही है बाजारों में,राहगीर हो रहे है चोटिल



अक्षय तृतीय के मद्देनजर बाजार में पतंग व मांझे की दुकानें सज गई हैं। शहर से लेकर ग्रामीण अंचलों तक सैकड़ों, स्थाई व अस्थाई दुकानों पर पतंगबाजी के शौकीन युवाओं द्वारा खरीददारी की जा रही है लेकिन प्रतिबंधित मांझे की बिक्री लोगों के लिए चिंता का कारण बनी है। वैसे तो दुकानदारों द्वारा प्रतिबंधित मांझे की बिक्री न करने का दावा किया जा रहा है लेकिन चोरी-छिपे खतरनाक मांझे की बिक्री से इंकार नहीं किया जा सकता है।

आए दिन देखा जाता है कि से राहगीर चोटिल होते हैlप्रश्न ये उठता है कि जब ये मांझा प्रतिबंधित है तो राहगीर चोटिल कैसे होते है मतलब घरो की छतो पर यह मांझा पंहुचता कैसे है?कही न कही कोई छेद है जिससे दुकानदार धडल्ले से प्रतिबंधित मांझे बेच रहे हैlघटना को गंभीरता से लेते हुए प्रशासन ने रोकथाम नहीं की तो आने वाले दिनों में इसके गंभीर परिणाम देखने को मिल सकते हैं।

चीनी मांझे पर सख्ती बेहद जरूरी
राजस्थान यूथ क्लब के अध्यक्ष मनोज चौधरी का कहना है कि चीनी मांझे पर सख्ती बेहद जरूरी है। जिस घर का सदस्य इस मांझे का शिकार होता है वहीं इसका दर्द समझ सकता है। अक्षय तृतीय आते ही दुर्घटनाएं शुरू हो जाती हैं। इस पर सख्ती होनी चाहिए। स्त्रोत पर रोक लगनी चाहिए ताकि किसी तक यह मांझा पहुंच नहीं सके।

सरकार को सख्ती बरतने की आवश्यकता है। पुलिस जब तक सक्रिय नहीं होगी तब तक रोक मुश्किल है क्योंकि जो चीजें बैन होती हैं, उसे उतना ही पसंद किया जाता है। जिस इलाके में इस तरह के मांझे बिकते हैं वहां सख्ती होनी चाहिए।