THE BIKANER NEWS:-बीकानेर। बीकानेर स्थापना दिवस के दूसरे दिन भी बीकानेर में पतंगबाजी का सिलसिला जमकर चला। परकोटे के भीतर और बाहर अधिकांश घरों पर लोग शाम होते ही छत पर चढ़ गए। दिन में जहां सुबह छह बजे से ही पतंगें आकाश में तैर रही थी, वहीं शाम होते-होते इनकी संख्या में कई गुना बढ़ोतरी हो गई। सोशल मीडिया पर बड़ी संख्या में अपील के बावजूद लोगों ने चाइनीज मांझे का भी उपयोग किया। पुलिस और प्रशासन इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं कर पाए
शाम होते होते हर घर पर लोग पतंगों को हिचकोले देते ही नजर आये। शनिवार को अक्षय द्वितीया आखाबीज पर लोगों ने जमकर पतंग उड़ाए तो रविवार को आखातीज पर इससे दो गुना ज्यादा लोग पतंग लेकर छत पर चढ़े। दोपहर में ये रफ्तार कुछ कम पड़ी, लेकिन शाम को शहर का जन्मदिन मनाने का ये अनूठा तरीका परवान पर नजर आया। पतंगबाजी में महिलाएं पीछे नहीं रही। बड़ी संख्या में महिलाओं और लड़कियों ने भी पतंग उड़ाई और पेंच भी लड़ाए। शहर के साथ-साथ गांवों के आकाश भी पतंगों से भरे नजर आए।
आज छत पर मस्ती कर पूरे दिन मौसम ने भी साथ दिया अच्छी हवा और कम धूप ने पतंगबाजों का मजा दोगुना किया
अक्षय तृतीया यानी आखातीज का सबसे ज्यादा लुत्फ परकोटे में रहने वाले बीकानेरी मनाते हैं। जहां ऐसी कोई छत नहीं होती, जहां कोई न कोई पतंग ना उड़ा रहा हो। घर की छत से कुछ दूरी पर पतंग पहुंचते ही पेंच हो जाते है। कुछ ही देर में एक तरफ से आवाज आती है “बॉयकाट्या’। इसका अर्थ है कि आपकी पतंग काट दी गई है। सुबह से शाम तक शहर के हर मोहल्ले में एक ही आवाज आती है, बॉयकाट्या। आखातीज ही एक ऐसा त्योहार है जब एक-दूसरे से सटे घरों में छत सब की एक हो जाती है। छतों की दीवार बहुत ही अधिकार के साथ लांघकर एक दूसरे के यहां पहुंच जाते हैं। दिन भर डीजे की धुन पर नाचते और साथ साथ छाछ,लस्सी,आइसक्रीम और खाने पीने का दौर चलता रहा।कोलकाता से आये दीपक पुरोहित ने कहा कि ऐसा नजारा कई वर्षों बाद फिर से देखने को मिला है।शाम होते ही छतों पर जमकर आतिशबाजी भी हुई,ऐसा लग रहा था मानो दीपावाली आ गई।
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