राजस्थान खबर:-राजस्थान में कांग्रेस की परेशानी लगातार बढ़ती जा रही है। पिछले 41 घंटों से नगर निगम के अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा को निलंबित करने की मांग को लेकर धरने पर बैठे कांग्रेसी पार्षद अब आर पार के मूड में आ गए हैं। महापौर मुनेश गुर्जर ने कहा- हम अपनी जायज मांगों को लेकर धरना दे रहे हैं। सत्य की नांव डगमग हो सकती है। डूब नहीं सकती। हमें पूरा विश्वास है कि सरकार हमारी मांग को पूरा करेगी।
मुनेश गुर्जर ने कहा- नगर निगम के 50 पार्षदों ने अपना मांग पत्र, इस्तीफा दोनों मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कुलदीप रांका तक पहुंचा दिए हैं। हमें पूरा विश्वास है कि जल्द ही राजेंद्र वर्मा को उसके किए की सजा मिलेगी। सरकार उसे निलंबित करेगी। अगर ऐसा नहीं हुआ। तो हम नगर निगम के बोर्ड और पार्षद पद को त्याग देंगे। क्योंकि जब पार्षद बनकर ही हम जनता की लड़ाई नहीं लड़ सकेंगे। फिर यह पद और नाम किस काम का है।
वहीं, सिविल लाइंस के कांग्रेसी पार्षदों के धरना छोड़कर जाने पर मुनेश गुर्जर ने कहा- वह भी दिल से हमारे साथ हैं। उन्होंने भी राजेंद्र वर्मा के खिलाफ धरने में हमारे साथ बैठ विरोध किया था। किसी कारण वर्ष वह फिलहाल हमारे साथ नहीं हैं। लेकिन उनका पूरा समर्थन आज भी हमारे साथ है।
हेरिटेज मुख्यालय में कांग्रेसी पार्षदों के साथ धरने पर बैठी महापौर मुनेश गुर्जर।
नगर निगम के सीनियर पार्षद उमरदराज ने कहा- राजेंद्र वर्मा की लापरवाही से आज जयपुर की जनता परेशान हो रही है। जो अधिकारी जयपुर की प्रथम नागरिक महापौर मुनेश गुर्जर से अभद्र भाषा का प्रयोग कर रहा है। आप कल्पना कीजिए वह जयपुर की जनता से किस तरह का बर्ताव करता होगा। ऐसे में हमें इस तरह का अधिकारी किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं होगा। सरकार जब तक राजेंद्र वर्मा को निलंबित नहीं करेगी। हमारा धरना जारी रहेगा। हम आखरी सांस तक जयपुर की जनता की हक की लड़ाई लड़ेंगे।
महापौर मुनेश गुर्जर ने 50 पार्षदों के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को लिखा मांग पत्र। जिसमें उन्होंने मांग पूरी नहीं होने पर इस्तीफा देने की बात भी कही है।
कमरे में ही बंधक बनाया
दरअसल, नगर निगम के पार्षदों को उनके इलाकों में पांच अस्थायी कर्मचारी दिए जाते हैं। इसके लिए अतिरिक्त आयुक्त के निर्देशन में गठित टीम टेंडर प्रकिया निकलने वाली थी। पार्षदों का आरोप है कि राजेन्द्र वर्मा पिछले 15 दिनों से टेंडर नोटशीट पर साइन नहीं कर रहे है। जबकि क्षेत्र में मानसून को देखते हुए कर्मचारियों की आवश्यकता है। 15 दिन बाद शुक्रवार को 50 पार्षद महापौर के पास गए और टेंडर नोटशीट पर साइन कराने की बात कही।
इस पर महापौर मुनेश गुर्जर ने अतिरिक्त आयुक्त वर्मा को अपने ऑफिस में बुलाया। वर्मा के नहीं आने पर सभी पार्षद उनके कक्ष में गए। उन्हें जबरन महापौर के कक्ष में ले आए। जहां वर्मा ने एक बार फिर साइन नहीं करने की बात कही। इसके बाद वर्मा की महापौर और पार्षदों से बहस हो गई। इससे नाराज पार्षदों ने राजेंद्र वर्मा को महापौर कक्ष में बंद कर दिया। हालांकि, इसके कुछ देर बाद मंत्री महेश जोशी मौके पर पहुंचे।
जिसके बाद वर्मा महापौर के कमरे से निकल सके। इसके बाद पुलिस की मौजूदगी ने वह निगम से देर रात घर के लिए रवाना हुए। इसके बाद जहां पार्षद नगर निगम में धरना दें रहे है। वहीं राजेंद्र वर्मा शनिवार और रविवार के साप्ताहिक अवकाश की वजह से नगर निगम मुख्यालय नहीं जा रहे है।
अतिरिक्त आयुक्त खिलाफ धरने में कांग्रेस के साथ निर्दलीय पार्षद भी शामिल हुए।
बता दें कि शुक्रवार शाम 4:00 बजे बाद नगर निगम में कांग्रेसी पार्षद इकट्ठा होना शुरू हो गए थे। इसके बाद पार्षद अतिरिक्त आयुक्त राजेंद्र वर्मा के कक्ष में पहुंचे। जहां उन्होंने अस्थाई सफाई कर्मचारियों की फाइल पर साइन करने की मांग की। वर्मा ने जब पार्षदों की बात नहीं मानी। तो शाम लगभग 5:30 बजे पार्षदों ने वर्मा की महापौर मुनेश गुर्जर से शिकायत कर दी।
इसके बाद महापौर ने अतिरिक्त आयुक्त को अपने कमरे में बुलाया। लेकिन जब वह नहीं पहुंचे। तो पार्षद शाम 6 बजे अतिरिक्त आयुक्त को लेकर महापौर के कमरे में पहुंचे। जहां महापौर और पार्षदों ने अतिरिक्त आयुक्त से एक बार फिर फाइल पर साइन करने के लिए कहा।
लेकिन जब अतिरिक्त आयुक्त नहीं साइन करने से मना कर दिया तो पार्षद नाराज हो गए और उन्हें वहीं कमरे में बिठा लिया। विवाद बढ़ने के बाद शाम लगभग 7:15 बजे एक मंत्री महेश जोशी नगर निगम पहुंचे और दोनों पक्षों को सुना।
लेकिन, मामला नहीं सुलझ पाया। इसके बाद महेश जोशी जैसे ही रवाना हुए। इसके कुछ देर बाद अतिरिक्त आयुक्त भी पुलिस की मौजूदगी में भारी विरोध के बावजूद नगर निगम मुख्यालय से निकल गए। हालांकि इसके बाद भी शुक्रवार रात से अब तक महापौर मुनेश गुर्जर के साथ 40 से ज्यादा पार्षद नगर निगम मुख्यालय में ही धरने पर बैठे है।