कोलकाता खबर:-कोलकाता : कोलकाता नगर निगम द्वारा वित्त वर्ष की शुरुआत में अवैध पार्किंग पर लगाम लगाने के लिए व आवासन और मकान के बाहर की गयी पार्किंग की वैधता के लिए ऑनलाइन पार्किंग योजना की शुरुआत की गई थी। इसके तहत अब वाहन मालिक केएमसी की वेबसाइट के जरिये ऑनलाइन आवेदन कर वैध पार्किंग की अनुमति ले सकते हैं। मालूम हो कि पहले इसके लिए वाहन मालिकों काे केएससी जाना होता था लेकिन यह सुविधा ऑनलाइन होने से अब घर बैठे वाहन मालिक इसके लिए आवेदन कर सकते हैं। इसके लिए वाहन मालिकों को सालाना 6300 रुपये चुकाना होगा, जिसमें 300 रुपये कर के रूप में और प्रत्येक महीने 500 रुपये पार्किंग शुल्क के रूप में भुगतान करना होगा। केएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि आवेदकों को कार पार्किंग के लिए एक स्टीकर प्रदान किया जाएगा। इस स्टीकर को वाहन पर लगाना अनिवार्य होगा। अगर किसी कारण आपके वाहन पर स्टीकर नहीं लगा रहा तो निगम पार्क की गई कार पर कार्रवाई कर सकता है।
अब रात के वक्त अवैध पार्किंग की तो खैर नहीं
अब अगर रात के वक्त अवैध पार्किंग की तो कोलकाता नगर निगम आपके वाहन को जब्त कर लेगा। केएमसी ने महानगर में अवैध पार्किंग की घटना को रोकने के लिए यह कदम उठाया है। निगम सूत्रों के अनुसार महानगर में कई वाहन चालक रात के वक्त अवैध रूप से कार पार्क करते हैं, जिसके खिलाफ समय-समय पर निगम अधिकारियों द्वारा विशेष अभियान चलाया जाता है। इसके साथ ही अवैध पार्किंग करने वाले वाहन चालकों से जुर्माना वसूला जाता है। इसके तहत गत रात भी केएमसी की ओर से वार्ड नम्बर 19 में अवैध पार्किंग के खिलाफ अभियान चलाया गया और लगभग 56 गाड़ियों को जब्त किया गया है। बता दें कि एक वाहन से जुर्माना के तौर पर केएमसी 1 हजार रुपये वसूलता है।
मध्य और उत्तर कोलकाता में चलाया जा रहा है अभियान
केएमसी के एक अधिकारी ने बताया कि नाइट पार्किंग योजना की शुरुआत फिलहाल मध्य और उत्तर कोलकाता में की गई है। केएससी की ओर से बताया गया है कि रात के वक्त अवैध पार्किंग पर लगाम लगाने के लिए ऐसा किया जा रहा है। आने वाले दिनों में यह योजना पूरे कोलकाता में शुरू की जायेगी।
पार्किंग व्यवस्था को बहाल करने में सबसे बड़ी बाधा स्थानीय पार्षद
उल्लेखनीय है कि पिछले महीने केएमसी के मासिक अधिवेशन के दौरान पार्किंग विभाग के एमएमआईसी देवाशिष कुमार ने भी अवैध पार्किंग की समस्या पर विचार रखते हुए कहा था कि पार्किंग व्यवस्था को बहाल करने में सबसे बड़ी बाधा स्थानीय पार्षद ही बन रहे हैं।