जहा किसी समय में बीकानेर पुष्करणा समाज के 8 से 10 परिवार मुंबई में रहते थे तब से आज तक मंदिर के प्रति लगाव और पूर्वजों की धरोहर को लोगो आपसी सहयोग से संवारा हे लगभग 15 लाख की लागत से बना रहे हे हाल और रसोई घर. जल्द ही होगा निर्माण कार्य पूरा पुष्करणा समाज के लोग यहा मनाते हे सब त्योहार साल में 5 से 7 आयोजन करते हे यहां पुष्करणा समाज की महिलाए भी बढ़ चढ़कर लेती है हिस्सा समाज पेश कर रहा हे अलग पहचान मंदिर को बनाने से लेकर आज तक नही लिया कोई सरकारी सहयोग.
इतिहास के हवाले से बताए तो
आज से लगभग ९७ वर्ष पूर्व मुंबई में सीमित संख्या में बीकानेरी पुष्करणा समाज के व्यक्ति रहते थे। उन्हीं दिनों में ज्योतिषाचार्य स्व.श्री जीवराज जी किराड़ू पधारे जिनकी प्रेरणा से स्व. श्री शिवप्रताप जी जोशी, स्व. श्री शिवप्रताप जी पुरोहित (सीनजी), स्व. श्री बालमुकुंद जी हर्ष, स्व. श्री रामकिशन जी व्यास(धाटीजी) एवं स्व. श्री जमना दास जी पुरोहित के संयुक्त प्रयास से कारोली ग्राम जिसे अब हंसोटी लेन, कामा गली के नाम से जाना जाता है में एक भूखंड १९२६ में क्रय किया एवं उसका निर्माण प्रारंभ किया। यहां शिवालय एवं भैरव मंदिर की स्थापना की तथा कोठी, चालनुमा कमरे एवं रसोईघर का निर्माण हुआ। इस भूखंड को सर्व सम्मति से पुष्करणा ब्राह्मण समिति के प्रतिनिधि स्व. बालमुकुंद जी हर्ष के नाम पर रजिस्टर करवाया। इस कार्य में स्व. चतुर्भुज जी करनाणी जो कि शिवप्रताप जी पुरोहित उर्फ सीनजी के कारोबारी पार्टनर थे एवं स्व.चिमन लाल जी दम्माणी का भी सहयोग रहा। निर्माण कार्य के दौरान सावे पर सभी के बीकानेर जाने से बालमुकुंद जी हर्ष ने अपनी पत्नी के जेवर गिरवी रख कर भी कार्य चालू रखा जिसे समाज के महानुभावों ने हर्ष जी को ससम्मान रकम चुका दिया।पुष्करणा ब्राह्मण समिति को २६ फरवरी,१९६८ महाशिवरात्रि के दिन “पुष्टिकर शिवालय ट्रष्ट” के नाम से रजिस्ट्रेशन हुआ।कलकत्ता स्थित ब्रह्म बगीचे की तर्ज पर इस परिसर का नाम भी ब्रह्म बगीचा रखा गया जहां बीकानेरी पुष्करणा एवं माहेश्वरी समाज के वासियों ने वर्षों तक शिवरात्रि,गोठ एवं अनेक कार्यक्रम आयोजित किए।ट्रष्टियों की सूझबूझ से ३०नवंबर,१९८५ को मंदिर परिसर के पास हेमंत नगर सोसायटी में ५८७ वर्ग गज का एक भूखंड खरीदा।लंबे समय तक स्व. सूरजमल जी हर्ष, सोहन लाल जी रंगा, रामकिशन जी हर्ष,शिवरतन जी जोशी ,द्वारका प्रसाद जी व्यास, डॉ.हरनारायण जी हर्ष,सूरजनारायण जी व्यास, हरिकृष्ण जी पुरोहित, गोविंद नारायण जी पुरोहित,श्री नारायण जी हर्ष ने ट्रष्ट को अपनी सेवाएं दी और इसे एक सुरक्षित रुप प्रदान किया। तत्पश्चात रतन जी पुरोहित, रमेश एच. पुरोहित, द्वारका प्रसाद जी व्यास, गोपाल जी रंगा एवं जीतमल जी पुरोहित ने सेवा दी।
२०१० से वर्तमान ट्रस्टियों श्री रतन जी पुरोहित,रमेश पुरोहित, अरविन्द पुरोहित, स्व.मदन गोपाल जी आचार्य, स्व. रमेश एच. पुरोहित, अमरचंद व्यास, सुशील जी व्यास, गिरिराज जी पुरोहित,भंवर लाल जी हर्ष, भंवर लाल जी रंगा, हरि गोपाल जी रंगा अपनी सेवा से ट्रष्ट का संचालन नवयुवकों की सहभागिता से कर रहे हैं।
लंबे अंतराल के पश्चात शिवालय का जीर्णोद्धार एक स्थानीय गुजराती भक्त ने करवाया तत्पश्चात वर्तमान ट्रस्टियों ने नसमाज के सहयोग से २०१० में जर्जर कोठी इत्यादि का पुर्णोद्धार तथा एक कमरे का निर्माण कराया। वर्तमान ट्रस्टियों ने समाज के भामाशाहों के सहयोग से एक नवीन कक्ष एवं सुसज्जित रसोईघर का निर्माण प्रगति पर है।वर्तमान में समाज के प्रबुद्ध, ऊर्जा वान एवं समर्पित युवा सुनील आचार्य, अनिल आचार्य, अल्केश रंगा, भाई शंकर आचार्य, गोपाल हर्ष,मानव पुरोहित , राजकुमार पुरोहित, गिरिराज जोशी एवं अनेक युवा इस ट्रष्ट को नयी ऊंचाई तथा समाज हितकारी कार्यो से इसका मान बढ़ा रहे हैं। बीकानेर से जाने वाले पुष्करणा बंधुओ के लिए ये ट्रस्ट अपने पलख पावडे बिछा देता है सेकडो लोगो घूमने रोजगार की तलाश या बीमारी का इलाज कराने जाते है मंदिर में बने कमरों को उनके लिए खोल दिया जाता है. पुष्करणा समाज का गर्व और गौरव है ये मंदिर.
ट्रस्ट के अरिवंद जी पुरोहित, रमेश जी पुरोहित और सुनील आचार्य भाई शंकर आचार्य भंवर लाल जी हर्ष सभी इस निर्माण कार्य को प्रगति देने में और बीकानेर पुष्करणा बंधुओ से जुड़े हे. 100 साल होने को आ रहे हे इस परदेश में समाज की खुद की धरोहर को सहज रहे हे समाज के लोग.