आज डॉ. अविनाश झाझड़िया द्वारा अपने मनोरोग एवं नशा उपचार केन्द्र पर एक निःशुल्क शिविर का आयोजन किया गया । इस शिविर में शहरी तथा ग्रामीण क्षेत्रों से पुरुषों व महिला रोगियों ने भाग लिया। डॉ. झाझड़िया ने बताया कि महिलाएं अधिकतर डिप्रेशन व चिंता से छुटकारा पाने के लिए नींद की गोलियों का सेवन करती हैं जबकि ग्रामीण लोग कृषि कार्यों में अपनी कार्य क्षमता बढ़ाने के लिए डोडा, तम्बाकू,अमल , शराब आदि नशा पदार्थों का प्रयोग अधिक करते हैं।नशा करने वाले लोगों से बातचीत करने पर पता चला कि नशे से मुक्त होने के लिए डाक्टर से मिलने में भी उन्हें शर्म आने लगती है।फलत:समय पर उपचार नहीं ले पाते।
डॉ. अविनाश ने बताया कि ऐसे रोगों के इलाज में एलोपैथिक दवाइयों के साथ-साथ प्रभावशाली काउन्सलिंग करनी भी जरूरी है । साथ ही परिजनों की निगरानी के बिना भी ऐसे रोगी पूरा इलाज नहीं ले पाते। अतः सफल इलाज के लिए परिजनों का सहयोग भी जरूरी है ।