भारत में बैंक राष्ट्रीयकरण के 54 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष में होंगे कई कार्यक्रम



THE BIKANER NEWS.भारत में बैंक राष्ट्रीयकरण के 54 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में पूरे देश में बैंक कर्मियों का संयुक्त संगठन यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन कर रहा है।इनमें रैलियां,गोष्ठियां,सम्मेलन एवं सामाजिक सरोकार के कार्यक्रम शामिल हैं।इसी क्रम में बीकानेर में विमंदित बच्चों के लिए भोजन सामग्री का वितरण नारी निकेतन सेवाश्रम पवनपुरी में किया गया।कार्यक्रम में श्री वाय के शर्मा योगी,श्री रामदेव राठौड़,श्री मृत्युंजय प्रकाश,श्री जे पी वर्मा गुल्लू,श्री अशोक सोलंकी,श्री जय शंकर खत्री एवं अन्य सदस्यों ने सहयोग किया।

इस अवसर पर श्री वाय के शर्मा योगी ने बताया कि बैंक संगठन आल इंडिया बैंक एम्प्लॉयस असोसिएशन के तत्कालीन जनरल सेक्रेटरी और उस समय के सांसद कॉम प्रभातकर के अथक प्रयासों द्वारा लोक सभा में बैंक राष्ट्रिककरण सम्बंधित रेसोल्यूशन पारित किया गया था।जिसके परिणामस्वरूप 19 जुलाई 1969 को तत्कालीन प्रधानमंत्री श्री मति इंदिरा गांधी ने 14 बैंकों का देश हित मे राष्ट्रीयकरण किया।राष्ट्रीकरण का देश की अर्थव्यवस्था में दूरगामी परिणाम निकला।ना केवल देश की जनता की संपत्ति इससे सरकार के नियंत्रण में आ गई वरन गरीबो किसानों को सस्ती ब्याज दर पर आसान ऋण उपलब्ध होने लगे जिससे ये लोग भी देश की तरक्की में समग्र योगदान देने लगे।इस प्रकार राष्ट्रीयकृत बैंक राष्ट्र निर्माण करने वाली संस्था है इनका यही स्वरूप राष्ट्र हित मे बनाये रखना चाहिए।अनावश्यक हेयर कट और राइट ऑफ से बचना चाहिए जबकि जमाओं पर ब्याज दर बढ़ानी चाहिए।भारतीय स्टेट बैंक से अधिकारी संगठन के श्री मृत्युंजय प्रकाश ने बताया कि राष्ट्रीयकरण से पूर्व बैंकों में कर्मचारियों के आने व जाने समय तय नहीं था, कोई सेवा शर्तें, नियम, कायदे लागू नहीं थे । बैंक कर्मचारी बंधुआ का जीवन व्यतीत कर रहे थे ।जिसमें बैंक में जाने का समय था आने का समय निश्चित ही नहीं थाऐसे में राष्ट्रीयकरण ने न केवल देश की अर्थव्यवस्था को ही सुधारा बल्कि बैंक कर्मियों के सेवा शर्तों में भी सुधार किया।इसलिए राष्ट्रीयकृत बैंकों को मजबूत बनाना चाहिए और इनका विस्तार करना चाहिए।इसके लिए बैंकों के डूबत ऋणों की वसूली करनी चाहिए तथा विलफुल डिफ़ॉल्टर्स पर त्वरित कार्यवाही करनी चाहिए।बैंक ऑफ बड़ौदा के श्री राम देव राठौड़ ने बताया कि यू एफ बी यू संगठन न केवल अपने सदस्यों के अधिकारों के लिए लगातार लड़ता रहा है बल्कि सभी गरीबो श्रमिको कामगारों किसानों महिलाओं के अधिकारों की रक्षा के लिए संघर्षरत है।उन्होंने कहा कि बैंकों में समुचित भर्तियाँ की जानी चाहिए।संविधान में प्रस्तुत की गई कल्याणकारी राज्य की अवधारणा के खिलाफ जा कर केवल कुछ कॉरपोरेट के थोड़े से मुनाफे के लिए बैंकों का निजीकरण नहीं किया जाना चाहिए।रामदेव राठौड़ ने सेवाश्रम के व्यवस्थापक को इस सामाजिक कार्यक्रम में भागीदार बनने देने के लिए धन्यवाद दिया तथा भविष्य में भी सहयोग का भरोसा दिलाया।