बीकानेर शहर का युवा ढूंढ रहा है सुरक्षित जगहो का जुआ










THE BIKANER NEWS:- बीकानेर:- शहर का युवा ढूढ़ रहा है जुआ

जी हां आपने सही पढा है लेकिन इस बात को समझने के लिए पहले आपको ये पूरा लेख पढ़ना होगा ।

ऐसे तो बीकानेर के शहर में कई ऐसे घर है जहाँ पर पूरे साल ही जुआ(घोड़ी का खेल) चलता ही रहता है जहां पर खिलाड़ियों का जमावड़ा रहता है और जिस घर मे ये खेल चलता है उस घर का मालिक उन सब खिलाड़ियों की सुविधा के लिए चाय पानी और नास्ते की व्यवस्था करता है और बदले में उनसे पर व्यक्ति खेल के हिसाब से घर मे एंट्री करने का चार्ज (टोकन मनी) वसूलता है। हर घर में कम से कम 20 व्यक्तियों के खेलने की जगह होती है। फिर ये खिलाड़ी घोड़ी पर या तास के पत्तो पर लाखों के दांव लगाते है। साथ ही अगर कोई खिलाड़ी अपने सारे रुपये दांव में हार जाए तो उस घर के बाहर उनके लिए फाइनेशर भी खड़े रहते है जो उनका सामान मोबाइल,बाइक,सोने की चेन अंगूठी,चांदी का सामान आदि गिरवी रख कर ब्याज पर रुपये भी देते है जिनका ब्याज 10 रुपये 15 रुपये सैकड़ा या इस से भी ज्यादा हो सकता है। दीपावली पर्व पर ये खेल परवान पर रहता है जिसमे नए और युवा खिलाड़ियों की बहार ज्यादा है जो  दीपावली के शगुन” के रूप में चार पाँच दिन सड़को पर या घरो में ये खेल खेलते है। रात होते ही ये लोग ऐसे घर या गलियां ढूंढते है जहां पर पुलिस की नज़र से बच सके इस के लिए ये लोग फ़ोन पर या व्हाट्सअप पर इस दूसरे को जानकारी भी आदान प्रदान करते रहते है कि आज फ़ला घर मे है आ जाओ। लेकिन कुछ नए खिलाड़ी ऐसे भी होते है जिनकी बिना “आधार कार्ड” मतलब जान पहचान के बिना खेल वाले घर मे एंट्री नही होती तो फिर ये लोग ऐसी गलियों की और रुख करते है जहां पर आसानी से खेल में जगह मिली जाए और फिर शाम से लेकर सुबह 5-6 बजे तक खेल चलता रहता है। इस दौरान पुलिस के जवान भी अपनी ड्यूटी पूरी करने के हिसाब से आकर इन पर दबिश देते है और इनको चेतावनी देकर कुछ राशि जब्त कर के निकल जाते है किसी दूसरे स्थान पर दबिश के लिए और खिलाड़ी थोड़ी देर एक दूसरे को ज्ञान देते है कि यार भागना नही चाहिए था ये लोग पकड़कर नही ले जा सकते बस इनको कुछ खर्चा पानी चाहिये इस लिए ये बार बार आते है। डरो मत कहकर फिर खिलाड़ियों का खेल चालू हो जाता है। यही क्रम निरन्तर चलता रहता है। साथ ही जब ये खिलाड़ी पुलिस के जवानों को कहते है कि सर क्यो बार बार आते हो दीपवाली है खेलने दो तो उनकी तरफ से ये जबाब भी सुनने की मिलता है कि भाई हम पुलिस वालो के भी दीपवाली है।

इस बार है पुलिस सख्त
पुलिस सख्त इस लिए है कि उनपर कार्यवाही करने का दबाब है वो इस लिए की इस बार पश्चिम विधायक ने बीकानेर पुलिस अधीक्षक को ज्ञापन देकर इस पर लगाम लगाने की बात कही है इस लिए खिलाड़ियों में डर भी है कि कही रेड ना पड़ जाए बस इस वजह से ही शहर का युवा ढूढ़ रहा है सुरक्षित जगह का जुआ”
खेर ये दबाब तो इन हर साल रहता है और छोटी मोटी कार्यवाही कर के इतिश्री कर देते है।

बस इसी कश्मकश में दीपवाली की चार राते जुआ ढूंढने में निकल जाती है और फिर कुछ नए खिलाड़ी पैदा होते है जो फिर “दीपावली के शगुन” को  व्यापार बना लेते है औऱ इस खेल की काली दुनिया मे शामिल होकर अपने परिवार और समाज का नाम रोशन (बदनाम) करते है।

पुलिस पर भी लगते है आरोप
जब भी कोई बड़ी जगह के खेल पर पुलिस की रेड पड़ती है और लाखों रुपये जब्त होते है तो खिलाड़ियों के मुह से दबी आवाज़ में एक ही बात निकलती है कि यार इन की बंधी(महीना) बांध रखा है फिर भी ….
यही कर्म कई सालों से निरंतर चला आ रहा है।

नोट:- खिलाड़ी शब्द का प्रयोग यहां इस लिए किया है ताकि जो दीपवाली है खेल तो खेलेंगे ही कहते है उन खिलाड़ियों के मान- सम्मान को ठेस ना पहुचे।