वैसे तो है बुराई, फिर भी लोग दीपावली पर खेलते हैं जुआ? जानिए इसके पीछे की मान्यता



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दीपावली पर कुछ लोग छिपकर जुआ खेलते हैं. ऐसे लोग मान्यता और परंपरा के नाम पर ऐसा क्यों करते हैं?


दिपावली (Deepawali) की रात लोग धन प्राप्ति (Income) के लिए कई सारे उपाय (Diwali Taotke) करते हैं. ऐसे में कुछ पुरानी परंपराएं ऐसी भी हैं, जिन्हें लोग आज गलत तरीके से निभा रहे हैं. जुआ खेलना (Gambling) एक सामाजिक बुराई और ऐसा दुर्गुण है जिसकी लत लग सकती है. इसके बावजूद दीपावली पर कहीं-कहीं जुआ खेला जाता है. दीवाली की रात ऐसा करने वाले इसे साल भर के भाग्य की परीक्षा मानते हैं. वहीं दीवाली की रात जुआ खेलने की कुछ पौराणिक मान्यताएं भी हैं. 

दीवाली की रात लोग ऐसा क्यों करते हैं?

पौराणिक मान्यता
 
ज्योतिषाचार्यों के मुताबिक घर में लक्ष्मी पूजन के बाद परिवार के सदस्य जुआ खेलते हैं. ये कानूनन तो गलत है इसके बावजूद कुछ लोग दीवाली पर ऐसा करते हैं तो एक सवाल ये भी उठता है कि क्या इस रात जुआ खेलना शुभ है या अशुभ. पौराणिक कथा के अनुसार, इस दिन जुआ खेलना शुभ है, लेकिन जुआ पैसा लगाकर खेला जाए तो यह अशुभ होता है. पौराणिक कथा के अनुसार, दीपावली की रात जुआ खेलना इसलिए शुभ है क्योंकि कार्तिक मास की इस रात को भगवान शिव और माता पार्वती ने चौसर खेला था. जिसमें भगवान शिव हार गए थे. तभी से दिवाली की रात जुआ खेलने की परंपरा जुड़ गई. लेकिन इसका कहीं वर्णन नहीं है. 

मां लक्ष्मी हो सकती हैं नाराज

इसी सामाजिक बुराई यानी जुए की लत के चलते ही पांडव अपनी धन दौलत, पूरा संसार यहां तक कि अपनी पत्नी को भी हार गए थे. जुआ की लत आदमी को बर्बाद कर देती हैं. जुए में पैसा लगाकर खेलने से मां लक्ष्मी भी रूठ जाती हैं और साल भर आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है.
यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है THE BIKANER NEWS इसकी पुष्टि नहीं करता है.