THE BIKANER NEWS:-Bikaner: लंपी बीमारी का कहर गौवंश पर किस कदर टूटा ये हम सभी ने बेहद करीब से देखा है और अब भी इस बीमारी का असर आम जनता पर भी देखने को मिल रहा है क्यूँकि प्रदेश में दूध उत्पादन में 15 फीसदी की कमी दर्ज की गयी है, और वो भी एक दो नहीं बल्कि पूरे छह लाख लीटर दूध की. पशुपालन विभाग द्वारा इन आंकड़ो के बाद चिंता व्यक्त की है.
रिर्पोट के अनुसार जहां छह महीनों के दौरान दूध के दामों में प्रति लीटर 10-12 रु और घी में 150-170 रु प्रति लीटर तक बढ़ोत्तरी देखी गयी है. हालांकि लंपी बीमारी से भले ही राहत मिल गयी हो लेकिन पशुपालन को पटरी पर आने में एक लम्बा समय लगने का अनुमान लगाया जा रहा है. प्रदेश में सबसे अधिक असर बीकानेर जिले में देखने को मिल रहा है. जहां बीकानेर की एक निजी और एक कोऑपरेटिव सेक्टर की डेयरी करीब सवा दो लाख लीटर दूध रोजाना पशुपालकों से ले रही है. वहीं इसके अलावा कई बड़ी कम्पनियां भी रोजाना सवा लाख लीटर दूध ले रही है तो वहीं बीमारी से पहले इसका आंकड़ा साढ़े चार लाख लीटर तक मिल रहा था. ऐसे में कमी साफ तौर पर देखने को मिल रही है.
अगर यही प्रदेश की बात करे तो 48 लाख तक मिलने वाला दूध अब 42 लाख लीटर तक पहुंच गया है जो अपने आप में एक बड़ा आंकड़ा है. वहीं मौसम के अनुरूप भी बदलाव देखने को मिलता हैं जहां गर्मी और सर्दी में प्रदेश में रोजाना ढाई से तीन लाख लीटर का फर्क देखने को मिलता है लेकिन इस बार दिवाली के बाद सर्दी का आगमन हो गया फिर भी इसका उत्पादन पर कोई असर नही देखा गया है. इसकी वजह लंपी बीमारी से रिकवर होने वाली गायों में इसका असर देखने को मिला है.
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पशुपालकों का मानना है की लंपी बीमारी ने पशुओं को बेहद नुकसान पहुंचाया है. ग्रामीण और दूध पालकों का ये रोजगार का बड़ा जरिया है लेकिन उत्पादन में कमी के चलते इसका असर हर पशुपालक और आम जनता की जेब पर पड़ता हुआ दिखाई दे रहा है.
साथ ही पशुपालन विभाग के डिप्टी डायरेक्टर डॉक्टर वीरेंद्र नेत्रा का कहना है कि लंपी रोग अब गायों में नहीं है लेकिन इसका असर अब भी है ओर रिकवरी में भी समय लगेगा. सरकार ने गौवंश में वैक्सीन करने के निर्देश दिए है. वहीं 70 प्रतिशत तक वैक्सीन का लक्ष्य रखा गया है. उम्मीद ये की जा रही है की आने वाले समय में ये रिकवरी हो जाएगी.
फिलहाल प्रदेश में दूध उत्पादन में आयी कमी का असर सीधे सीधे आमजनता की जेब पर देखने को मिल रहा है अब ये उम्मीद की जा सकती है की उत्पादन में जल्द बढ़ोत्तरी हो ओर दूध के दामों में कमी आए. ताकी आम जन को राहत मिल सकें.