बीकानेर -पट्टे जारी करने में गड़बड़ी का आरोप, मेयर और आयुक्त हुए आमने-सामने

THE BIKANER NEWS:-Bikaner News: नगर निगम में प्रशासन शहरों के संग अभियान के तहत बन रहे पट्टों से जुड़ा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा हैं. पहले जहां पट्टों के गलत आंकड़े भेजे जाने को लेकर महापौर ओर आयुक्त के बीच विवाद देखने को मिला तो अब वहीं पट्टों की वैधता को लेकर ही सवाल खड़े हो रहे हैं. ऐसे में बीकानेर की मेयर ने आयुक्त पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए पट्टो के हस्ताक्षर की वैधता पर सवाल खड़े कर दिए है.

दरअसल, आयुक्त गोपालराम बिराड़ा ने 16 नवंबर को सभी पट्टे नवनियुक्त सचिव हंसा मीणा के एकल हस्ताक्षर से जारी करने के आदेश जारी दिए थे. जिस पर महापौर के जरिए पत्र जारी करते हुए आयुक्त को जवाब तलब किया गया.  पत्र में महापौर ने लिखा  था की आयुक्त के जरिए जारी आदेश पूर्णतया अवैध है. महापौर ने स्थिति को स्पष्ट करते हुए कहा था की राज्य सरकार के जरिए लीज होल्ड से फ्री होल्ड के पट्टे एकल हस्ताक्षर से जारी करने के आदेश दिए हैं. वह भी उपायुक्त के  आयुक्त के जरिए अवैध आदेश जारी कर सभी तरह के पट्टो पर एकल हस्ताक्षर के लिए सचिव को अधिकृत किया गया है.

महापौर ने कहा की आयुक्त के जरिए जारी आदेश में इसे  16 नवंबर को बुलाई गई एंपावर्ड कमेटी की बैठक का निर्णय बताया है जबकि महापौर खुद इस समिति की अध्यक्ष है और ऐसी कोई बैठक नहीं बुलाई गई न ही कोई निर्णय किया गया है.

इसके साथ ही महापौर ने यह भी बताया की पट्टे बनाने के लिए मूल दस्तावेज समर्पण लेने एवं भूमि नियमन के अधिकार बोर्ड के होते हैं इसीलिए पट्टे पर और फाइल में महापौर के हस्ताक्षर लिए जाते हैं. सचिव के हस्ताक्षर से जारी पट्टे पहले दिन से ही अवैध माने जायेंगे.  ऐसे में जनता को इन पट्टो को जारी कर गुमराह किया जा रहा है. पहले तो जनता को साल भर पट्टे के लिए अनावश्यक चक्कर लगवाए गए और अब जो पट्टे जारी किए जा रहे हैं वो अवैध है. हालांकि, आयुक्त ने आदेश में जिस बैठक का हवाला दिया है, उस बैठक की कोई कार्रवाई का विवरण भी जारी नहीं किया गया है.

इस मुद्दे पर महापौर ने मीडिया से कहा की आयुक्त  के जरिए  सचिव के एकल हस्ताक्षर से पट्टा जारी करने का आदेश पूरी तरह से गलत और अवैध है. ना ही 16 नवंबर को कोई एंपावर्ड कमेटी की बैठक हुई है ना ही ऐसा कोई निर्णय लिया गया . मेरी जनता से अपील है की बिना महापौर और आयुक्त के हस्ताक्षर का पट्टा न ले. ऐसे में पट्टे की कोई वैधता नहीं है. मैंने अपने हस्ताक्षर के लिए किसी को भी अधिकृत नहीं किया है. सचिव के हस्ताक्षर से जारी पट्टे शुरू से ही अवैध माने जायेंगे.

सरकार ने ऐसा कोई कानून या नियम नहीं बनाया है जिसके तहत सचिव को अधिकृत किया जा सके.मेरे पास पट्टे की फाइल आने के दिन ही पट्टा साइन कर दिया जाता हैं.मैं पहले दिन से ही पट्टे बनाने की प्रक्रिया में देरी को लेकर आयुक्त से सवाल कर रहीं हूं लेकिन आयुक्त हर बार कोई ना कोई नियमविरुद्ध आदेश जारी कर रहे हैं ताकि पट्टा जारी ना हो.