THE BIKANER NEWS:-बीकानेर
बेसिक पी.जी. महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के अन्तर्गत सात दिवसीय विशेष शिविर के लिए शिविर स्थल स्थानीय श्रीरामसर गाँव के हर्षोल्लाव तालाब से शिविर शुभारम्भ किया गया। कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मुकेश ओझा द्वारा राष्ट्रीय सेवा योजना की आवश्यकता एवं उद्देश्यों के बारे जानकारी के साथ ही गाँव में स्वयंसेवकों द्वारा जुलूस के साथ विशेष शिविर कार्यक्रम के बारे में ग्रामीणों के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए गाँव की गलियांे में रैली निकाली गई।
इसके पश्चात् दूसरे सत्र में विशेष शिविर का उद्घाटन महाविद्यालय परिसर में रखा गया। आज विशेष शिविर के इस उद्घाटन सत्र में राष्ट्रीय किसान दिवस के विशेष मौके पर ‘‘देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्त्वपूर्ण योगदान’’ विषय पर एक परिचर्चा का आयोजन रखा गया। इस कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास उपस्थित रहे तथा कार्यक्रम की अध्यक्षता महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित की।
कार्यक्रम की शुरुआत माँ सरस्वती के सम्मुख दीप प्रज्वलन करते हुए एनएसएस गीत के साथ की गई। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के प्राणिशास्त्र विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश पुरोहित द्वारा विषय प्रवर्तन करते हुए बताया गया कि कृषि क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था की आधारशिला है। देश के विकास और प्रगति में कृषि क्षेत्र का महत्वपूर्ण योगदान है, क्योंकि देश का आर्थिक व सामाजिक ढांचा इसी पर टिका है।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि श्री रामजी व्यास ने रासेयो के स्वयंसेवकों को अपने संबोधन के दौरान बताया कि वैश्विक रूप से कोविड-19 से महत्वपूर्ण हद तक राहत पाने के बाद, अब दुनिया के देश अपनी अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत करने, महामारी से मुकाबले से सीखें अनुभवों का सकारात्मक उपयोग करने, विपरीत परिस्थितियों की सीख़ को भविष्य के लिए सुरक्षित मार्ग प्रशस्त करने और खासकर स्वास्थ्य, कृषि, प्रौद्योगिकी विकास के इंफ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करने पर जोर शोर से भिड़ गए हैं। श्री व्यास ने अपने उद्बोधन के दौरान बताया कि विकासशील देशों की अर्थव्यवस्था के लिए कृषि महत्वपूर्ण है। यह क्षेत्र किसी भी देश की खाद्य स्थिरता, गरीबी में कमी और समग्र रूप से स्थायी विकास प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि राष्ट्रीय सेवा योजना का ध्येय है: ‘‘मैं ही नहीं आप भी।’’ इससे यह उजागर होता है कि किसी व्यक्ति का कल्याण समग्र रूप से समाज के कल्याण पर निर्भर है, अतः दिन-प्रतिदिन के कार्यक्रम में इस ध्येय का प्रदर्शित करना राष्ट्रीय सेवा योजना का लक्ष्य होना चाहिए। परिचर्चा के विषय पर अपने विचार रखते हुए महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने बताया कि बदलाव के नए दौर से कृषि का क्षेत्र भी गुजर रहा है। अब समय आ गया है कि कृषक भी कृषि परिवेश में नई तकनीक, नवाचार, नए लाभकारी, अपरंपरागत फसल की ओर रुख करें, क्योंकि एकीकृत कृषि कार्य समय की मांग है। अपनी आय को दोगुना करने के लिए नए फसल प्रयोग करना जरूरी हो गया है। प्रधानमंत्री किसानों की समृद्धि के लिए निरंतर प्रयासरत हैं। इसलिए आवश्यकता है कि किसान भाई आगे आकर समृद्ध किसान समृद्ध भारत की अवधारणा को साकार करें।
कार्यक्रम का संचालन करते हुए महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय की वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. रोशनी शर्मा ने बताया कि विद्यार्थियों को राष्ट्रीय सेवा के कार्य में अपनी सामाजिक जिम्मेदारी को हमेशा स्वयं से ऊपर रखना चाहिए। अगर हम कृषि क्षेत्र की बात करें तो भारत वैश्विक रूप से कृषि उत्पादों की आपूर्ति करने वाला प्रमुख देश है और अर्थव्यवस्था में भी कृषि का महत्वपूर्ण योगदान है।
इस अवसर पर कार्यक्रम अधिकारी डॉ. मुकेश ओझा ने विशेष शिविर के बारे में जानकारी देते हुए बताया कि इस सात दिवसीय विशेष शिविर के अन्तर्गत राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के स्वयंसेवकों द्वारा स्थानीय लोगों में सरकार की विभिन्न योजनाओं के सम्बन्ध में जनजागृति के साथ-साथ साक्षरता, श्रमदान, स्वास्थ्य, वृक्षारोपण, जनजागृति रैलियाँ, सामाजिक सौहार्द्र, राष्ट्रीय पुनर्निर्माण, देश भक्ति आदि से जुड़े विभिन्न कार्यक्रमों का संचालन किया जाएगा।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य श्री वासुदेव पंवार, श्रीमती माधुरी पुरोहित, श्रीमती प्रभा बिस्सा, श्री सौरभ महात्मा, सुश्री संध्या व्यास, सुश्री श्वेता पुरोहित, सुश्री प्रियंका देवड़ा, श्रीमती अर्चना व्यास, श्री अजय स्वामी, श्री जयप्रकाश, श्री हिमांशु व्यास, श्री गणेश दास व्यास, सुश्री जयन्ती व्यास, सुश्री ज्योत्सना पुरोहित, डॉ. नमामिशंकर आचार्य, श्री हितेश पुरोहित, श्री पंकज पाण्डे, श्री महेन्द्र आचार्य, श्री शिवशंकर उपाध्याय, श्री राजीव पुरोहित आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।