THE BIKANER NEWS.बेसिक पी.जी. कॉलेज की रासेयो ईकाई द्वारा विशेष शिविर के दौरान वृक्षारोपण, पर्यावरण संरक्षण का दिया गया संदेश बेसिक पी.जी. महाविद्यालय की राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के सात दिवसीय विशेष शिविर के अन्तर्गत पाँचवे दिन अनेक कार्यक्रमांे का आयोजन रखा गया जिसमें मुख्य रूप से वृक्षारोपण कार्यक्रम, पर्यावरण संरक्षण की भूमिका और स्वयंसेवकों की नृत्य प्रतियोगिता आदि को शामिल किया गया। इस अवसर पर ‘‘वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण’’ अभियान के अन्तर्गत महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास, महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित, महाविद्यालय के स्टाफ सदस्यों सहित राष्ट्रीय सेवा योजना ईकाई के स्वयंसेवक उपस्थित रहे। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय के वनस्पतिविज्ञान विभाग की विभागाध्यक्ष सुश्री श्वेता पुरोहित ने विषय की जानकारी देते हुए बताया कि जीवन की दृष्टि से पर्यावरण मानव के लिए सर्वाेच्च जरुरत है। जल, जंगल और जमीन तीनों उसके प्रमुख आधार हैं। विकास के मौजूदा मॉडल की सबसे बड़ी विफलता यह है कि जीवन के इन तीनों आधारों को प्रदूषण ने घेर लिया है। यही वजह है कि आज देश की आबादी का बड़ा हिस्सा स्वच्छ व सुरक्षित पानी, शौचालय और शुद्ध हवा जैसी मूलभूत आवश्यकताओं से भी वंचित है और पर्यावरण पूरी तरह से प्रदूषित हो चुका है। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास ने स्वयंसेवकांे को बताया कि कोई भी नीति या नियम प्रभावी परिणाम तभी देता है जब समाज की सहभागिता उसमें हो। पर्यावरण ऐसा मामला है जिससे जीवन सीधे जुड़ा हुआ है। पर्यावरण का क्षरण बड़ा संकट है। इस चुनौती का सामना सामुदायिक सहभागिता के जरिए ही संभव है। पर्यावरण संरक्षण के लिए वृक्षारोपण अहम पहल है, क्योंकि जीवनदायनी ऑक्सीजन का एकमात्र स्त्रोत वृक्ष ही हैं। श्री व्यास ने बताया कि किसी भी राष्ट्र या समाज अथवा संस्कृति की सम्पन्नता वहां के निवासियों की भौतिक समृद्धि में निहित नहीं होती है बल्कि वहां की जैव विविधता पर निर्भर होती है। कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए बताया कि समाज में वृक्षारोपण की संस्कृति विकसित हो, तभी यह एक अभियान के रुप में पर्यावरण को पोषित कर जनोन्मुखी गतिविधि के रुप में स्थापित होगी, क्योंकि उपभोक्तावादी संस्कृति के विस्तार ने जंगलों को नष्ट कर दिया है। समय रहते हमने अपनी इस मानवीय भूल को यदि नहीं स्वीकारा और अपने जीवन व्यवहार को नहीं सुधारा तो पृथ्वीं का जीवन अस्तित्व ही संकट में पड़ जाएगा। इसलिए जरुरी है कि समय रहते खुले वनों की सघनता को बढ़ाएं। इस अवसर पर महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता श्री वासुदेव पंवार ने स्वयंसेवकों को बताया कि पर्यावरण का स्वच्छता और शुद्ध हवा से सीधा संबंध है। स्वच्छता और आर्थिक विकास में भी घनिष्ठ संबंध है इसलिए लोगों को इस बात के लिए जागरुक किया जाए कि पर्यावरण का सीधा संबंध हमारे स्वास्थ्य से है। पर्यावरण प्रदूषण से मानव स्वास्थ्य बिगड़ता है। इस दिशा में जागरुकता के लिए समाज के साथ समूह चर्चाएं की जाएं। निरन्तर प्रशिक्षण का विस्तार समाज के विभिन्न तबकों तक किया जाए, तभी पर्यावरण संरक्षण के अभ्यास एक स्थायी आदत में बदलेंगे। कार्यक्रम अधिकारी एवं महाविद्यालय के वरिष्ठ व्याख्याता डॉ. मुकेश ओझा ने स्वयंसेवकांे को संबोधित करते हुए कहा कि प्रदूषण मुक्त वातावरण के लिए हर व्यक्ति को कम से कम एक वृक्ष लगाना चाहिए। कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष श्री रामजी व्यास द्वारा सभी स्वयंसेवकों एवं उपस्थित व्याख्याताओं को ‘‘वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण’’ के लिये संकल्प दिलवाया गया। इस अवसर पर स्वयंसेवकों द्वारा नीम, पीपल, बड़, अमरूद, नीबू, गेंदा, चमेली आदि जैसे छायादार, फूलदार एवं फलदार के पौधे भी लगाए गए। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा, श्रीमती माधुरी पुरोहित, श्रीमती प्रभा बिस्सा, श्री सौरभ महात्मा, सुश्री संध्या व्यास, सुश्री श्वेता पुरोहित, सुश्री प्रियंका देवड़ा, श्रीमती अर्चना व्यास, श्री अजय स्वामी, श्री जयप्रकाश, श्री हिमांशु व्यास, सुश्री जयन्ती व्यास, सुश्री ज्योत्सना पुरोहित, डॉ. नमामिशंकर आचार्य, श्री हितेश पुरोहित, श्री पंकज पाण्डे, श्री महेन्द्र आचार्य आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।