THE BIKANER NEWS:- उत्तर प्रदेश की दवा नियामक ने मैरिओन बॉयोटेक को नोएडा प्लांट में सभी दवाइयों को बनाने पर रोक लगा दिया है। जांच अधिकारियों के मुताबिक इस प्लांट में गुड मैन्यूफैक्चरिंग प्रैक्टिसेज (GMP) के शेड्यूल एम का उल्लंघन हो रहा था जिसके चलते कंपनी को प्रोडक्शन पूरी तरह से बंद करने का निर्देश दिया गया है। सूत्रों के हवाले से मनीकंट्रोल को इसकी जानकारी मिली है। यह
फैसला प्लांट के निरीक्षण के बाद लिया गया है और इसकी जांच कल आधी रात में की गई। मैरिओन बॉयोटेक के प्लांट पर बैन लगाने का फैसला केंद्रीय दवा नियामक और यूपी के दवा नियामक की जांच के आधार
पर लिया गया है।
क्या लाइसेंस कैंसल होगा?
एक केंद्रीय दवा नियामक ने बताया कि जांच की रिपोर्ट के आधार पर कंपनी को कारण बताओ नोटिस जारी किया जा सकता है। इसने कंपनी को बताना
होगा कि जीएमपी के नियमों को लेकर उनका रवैया क्या है। जीएमपी का मतलब है कि उत्पादन को लेकर किन नियमों का पालन करना है। हालांकि ऑफिशियल ने यह नहीं बताया कि क्या कंपनी का लाइसेंस रद्द होगा। उन्होंने बताया कि अभी जांच चल रही है।
क्या है पूरा मामला
उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय का दावा है कि मैरिओन बॉयोटेक के कफ सिरप Doc-1 Max के चलते 21 बच्चों को सांस की बीमारियों हो गई और
इसमें से 18 की मौत हो गई। उज्बेकिस्तान के स्वास्थ्य मंत्रालय की शुरुआती जांच में पाया गया कि इस कफ सिरप में एथिलीन ग्लाईकॉल पाया गया
जिसके चलते बच्चों के साथ हादसा हुआ। इसके बाद भारत में भी इस सिरप
बनाने वाली कंपनी के प्लांट की जांच शुरू हुई।
इस सिरप के सैंपल को चंडीगढ़ की टेस्टिंग लैब में भेजा गया है। केंद्रीय
स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया ने कल कहा था कि भारतीय दवा नियामक
लगातार उज्बेकिस्तान के दवा नियामक के संपर्क में हैं। वहीं कंपनी के लीगल
हेड हसन रजा ने बच्चों की मौत पर दुख जताते हुए कहा कि सरकार जांच
कर रही है और रिपोर्ट के आधार पर कदम उठाया जाएगा। हसन के मुताबिक
कफ सिरप का प्रोडक्शन बंद कर दिया गया है।


