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करंट से हुई मौत के बाद परिजनों में आक्रोश

बीकानेर। 33 केवी की अंडरग्राउंड लाइन को पानी की पाइप लाइन समझकर तोड़ने का प्रयास कर रहा मजदूर करंट की चपेट में ऐसा आया कि 15 दिन तक संघर्ष करके भी जीवन हार गया। 18 जुलाई को नोखा के कानपुरा बस्ती में ये मजदूर चपेट में आया था लेकिन मंगलवार सुबह उसने पीबीएम अस्पताल में दम तोड़ दिया। इसके बाद से परिजनों में बिजली विभाग के खिलाफ जमकर आक्रोश है। नोखा से बड़ी संख्या में लोग बीकानेर के पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी पहुंच रहे हैं, जहां विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। दरअसल, नोखा के कानपुरा में कानपुरा बस्ती में एक मजदूर पुखराज भार्गव (30) काम कर रहा था। इस दौरान उसने बिजली की अंडरग्राउंड लाइन को पानी की पाइप लाइन समझकर उस पर गैंची चला दी। वो तुरंत करंट की चपेट में आ गया। 33 केवी का भारी करंट उसे अपनी चपेट में ले गया। काफी देर झुलसने के बाद उसे बीकानेर के पीबीएम अस्पताल में भर्ती कराया गया। करीब पंद्रह दिन तक संघर्ष करने के बाद मंगलवार सुबह उसने दम तोड़ दिया। यहां वार्ड संख्या पांच में रहने वाले पुखराज को बिल्कुल अंदेशा नहीं था कि जमीन के अंदर भी कोई बिजली की लाइन हो सकती है। ऐसा कोई संकेत भी आसपास नहीं था कि वो समझ पाता कि यहां करंट है। मंगलवार सुबह मौत होने पर क्षेत्र के लोगों का गुस्सा बढ़ गया। बड़ी संख्या में नोखा से पुखराज के रिश्तेदार व मित्र बीकानेर पहुंचे और मोर्चरी के आगे जुट रोष जताने लगे। मृतक के रिश्तेदार मुआवजे की मांग को लेकर अड़ गये। जिसके बाद अधिकारियों ने काफी समझाईश भी की।

छह की जगह तीन फीट लाइन

आरोप है कि नोखा में अंडरग्राउंड बिजली की हाई वोल्टेज लाइन डालने के नियमों की खुले आम धज्जियां उड़ाई गई है। जमीन में केबल डालने के लिए छह फीट गहरे गड्‌डे के स्थान पर तीन फीट गहरा गड्‌डा ही खोदा गया। कई बार स्थानीय लोगों ने बिजली विभाग के अधिकारियों को शिकायत भी की लेकिन कोई फर्क नहीं पड़ा। जमीन से महज तीन फीट गहरी 33 केवी लाइन कभी भी हादसे का कारण बन सकती थी और बन भी गई।

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