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बड़ी रोचक है महात्मा गांधी की नोटों में फोटो छपने की कहानी, क्या सच में ये दो बड़े कारण थे ?

THE BIKANER NEWS:-2 अक्टूबर

दिन बदले, साल बदले और लोग बदले लेकिन दशकों से यदि कुछ नहीं बदला तो वो है नोटों में लगा राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का फोटो. ऐसा नहीं कि हमने कभी इसपे जानने का प्रयास नहीं किया. जाना भी लोगों ने बताया भी, पर जितने मुंह उतनी बातें. लेकिन आज THE BIKANER NEWS आपको बताएगा कि गांधी जी का ही फोटो नोटों में क्या लगा है. दरअसल ये बात शुरू होती है सन् 1969 से, जब देश गांधी जी कि जन्म शताब्दी मना रहा था. 

जैसा कि हर साल होता है कि किसी भी महापुरुष के जन्म शताब्दी वर्ष पर विशेष शुरूआत और कुछ नया करने का रिवाज होता है. तो उन दिनों देश के साथ आरबीआई ने महात्मा गांधी के सम्मान में कुछ ऐसा किया जो आज भी सबसे अलग है. भारतीय रिजर्व बैंक ने एक रुपए का नोट जारी करते हुए उसमें महात्मा गांधी कि फोटो चस्पा की. फिर करीब 18 साल बाद सन् 1987 में महात्मा गांधी की फोटो वाले 500 के नोट RBI ने रिलीज किए. लोगों कि आस्था गांधी पर बढ़ती गई. इसे देखते हुए सन् 1996 में सभी नोटों पर महात्मा गांधी की फोटो छापी जाने लगी.

ये है सबसे बड़ा कारण
तकनीकी रूप से उन दिनों नोटों में किसका चित्र लगाया जाए, कौन सा संकेत लगाया जाए इन तमाम विषयों पर विमर्श चल रहा था. तकनीकी पक्ष को देखें तो किसी निर्जीव वस्तु की फोटो कि नकल करना आसान होता है, लेकिन किसी मानव चेहरे का हूबहु नकल तैयार करना थोड़ा जटिल कार्य है. फिर ख्याल ये आया कि गांधी जी कि फोटो क्यों न छाप दी जाए. क्योंकि गांधी के विचारों से देश का हर एक वर्ग जुड़ा हुआ था. गांधी न सिर्फ देश के लिए बल्कि दुनिया के लिए सार्वभौम थे. उनकी एक अलग प्रासंगिकता थी. यदि किसी और व्यक्ती का चेहरा नोट पर चस्पा किया जाता तो ये निर्णय विरोध खड़ा कर सकता था. लेकिन गांधी पर देश के संपूर्ण जनमानस ने सहमति दी. नोटों पर लगी उनकी फोटो को स्वीकार्य किया. 

कोलकाता में खींची गई थी नोटों में लगी महात्मा गांधी की फोटो

अब खास बात ये है कि नोटों में जो फोटो गांधी जी की छापी गई है उसे कहां खीचा गया था. ये सवाल भी सबके लिए उतना ही रोचक है, जितना नोटों में गांधी जी कि फोटो छापने का कारण. आप नोटों में जो फोटो देखते हैं उसे कोलकाता में खींची गई थी. उस समय महात्मा गांधी ने तत्कालीन म्यांमार और भारत में ब्रिटिश सेक्रेटरी के रूप में कार्यरत फ्रेडरिक पेथिक लॉरेंस के साथ कोलकाता आए ते. वहां स्थित वायसराय हाउस में मुलाकात की थी. यहां पर गांधी जी कि खींची फोटो का फोटो का पोट्रेट ही नोट पर लिया गया है. तब से नोटों पर हमें बापू की ही तस्वीर दिखती है. क्योंकि छापी ही वही जाची है. 

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