श्री मदभागवत कथा का हुआ हवन के साथ समापन

मुरलीधर व्यास नगर के एसी महादेव परिसर मे चल रहे श्रीमदभागवत कथा का समापन आज हुआ।
कथा वाचक वृदावन धाम से पधारे श्री सतीश दीक्षित महाराज ने अंतिम दिन सुदामा एवं श्री कृष्ण की मित्रता का वर्णन सुनाया कि जीवन मे मित्रता में बड़ा छोटा का भाव एवं ऊंच नीच का भाव नहीं होना चाहिए, मित्रता का भाव एक समान होता है। द्वारिकाधीश भगवान श्रीकृष्ण की तरह जैसा उन्होंने श्री सुदामा के साथ मित्रता का व्यवहार निभाया। अंतिम उपदेश में आचार्य ने बताया कि अन्य ग्रंथ मनुष्य को जीवन जीने की कला सिखाते है और श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य को मरना सिखाती है, जीवन मे जीने के बाद कैसी मृत्यु हो, श्री शुकदेव जी ने महाराज परिक्षित को भागवत का उपदेश देकर उन्हें तक्षक सर्प के काटने से पहले ही भागवत ज्ञान के द्वारा मुक्त कर दिए थे।कथा के बाद हवन किया गया।जिसमे बड़ी संख्या मे श्रद्धालुओ ने आहुति दी ओर गायों मे फैल रही लम्पि बीमारी को दूर करने के लिए भगवान से प्रार्थना की।

आयोजन कर्ताओ ने बताया की कार्यक्रम मे गोकुल जोशी,पार्षद प्रतीक स्वामी,प्रदीप उपाध्याय का सम्मान किया गया।

आयोजन को सफल बनाने में दिनेश सारस्वत,विजय शंकर रंगा,नवरतन भादाणी,शिव चौधरी,सुमित मारु,निर्मल सुथार,आयुष,कान्हा व्यास, विपिन पुरोहित,किशन व्यास आदि ने सहयोग किया।