स्वर्णनगरी पित्त पाषाण से जड़ित प्रस्तर अपनी बदहाली पर बहा रहा है आंसू

THE BIKANER NEWS जैसलमेर। स्वर्णनगरी में सूर्य की पहली किरण पित्त पाषाण से जड़ित प्रस्तर पर प्रकाश से मानो चारों तरफ सोना बिखेर रही हो आज स्थिति है यह 850 वर्ष पूर्व निर्मित दुर्ग के प्रस्तर स्वयं की बदहाली स्थिति पर आशु बहा रहे है।
रेगिस्तान के धोरों पर जब पीने का पानी का अभाव था उस वक्त यह दुर्ग न पानी न चुना के बिना कुशल कारीगरों द्वारा दुर्ग का निर्माण किया था ।
वर्तमान स्थिति यह है प्रस्तर स्वयं का स्थान छोड़ रहे है किसी भी प्राकृतिक प्रकोप के चलते ये प्रस्तर स्थान छोड़ते है तो राहगीरी और परकोटे के चारों तरफ रिहायशी क्षेत्र भविष्य में काल के ग्रास में समाहित हो इसमें संदेह नहीं किया जा सकता।
विश्व के मानचित्र पटल पर जैसलमेर दुर्ग केंद्र राज्य सरकार का आय के साधन के साथ शहर के सैकड़ों लोगों की आय का स्रोत भी है ।
विभाग द्वारा एक बोर्ड सृजित कर स्थानीय वाशियो को सतर्क कर दिया है दीवार जर्जर है सुरक्षित हेतु दूरी बनाए रखे।
शहर के जनप्रतिनिधि खामोश क्यों है केंद्र और राज्य सरकार में विराजमान आला अफसर मंत्री स्वर्णनगरी को निहार कर चले जाते है ।
गौरतलब यह है किसी भी भयावह स्थिति में इस विशालकाय प्रस्तर स्वयं की आगोश में सैकड़ों को जुबान बेजुबान को काल का ग्रास बनने पर सिर्फ सांत्वना देकर इतिश्री हो जाएगी।
संबंधित प्रशासन समय रहते त्वरित प्रभाव से उखड़ते प्रस्तरों को व्यवस्थित करे अन्यथा किसी भी वक्त भूकंप के कारण ये प्रस्तर ताश के पत्तों की तरह ढह जाए तो अतिशयोक्ति नहीं होगी ।
केंद्र एवं राज्य सरकार के आला जिम्मेदार कुंभकरणीय नींद से उठकर स्वयं का कर्तव्य का पालन करे।अन्यथा भविष्य में किसी अनहोनी घटना से सराबोर निःसंदेह नकारा नहीं जा सकता।
कैलाश बिस्सा