देखण में लागी कै हड़मान जी री चालगी/ असल में सीता री आह ही लंका बाळगी….* *रामायण के चुनिंदा अंशों का कमल रंगा ने किया राजस्थानी में अनुवाद

THE BIKANER NEWS:-*बीकानेर 29 अक्टूबर, 2024।*
भारतीय ज्ञान परम्परा का महत्वपूर्ण काव्य ग्रंथ ‘रामायण’ जिसका सार रूप में बादशाह राणा हुसैन द्वारा आज से करीब 9 दशक पहले उर्दू में रचे गए उसका राजस्थानी में बेहतरीन एवं महत्वपूर्ण अनुवाद राजस्थानी के वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने किया।
कमल रंगा द्वारा आज प्रात: दीप पर्व के आगाज के अवसर पर रामायण के चुनिंदा अंश राजस्थानी भाषा की मठोठ के साथ लक्ष्मीनारायण रंगा सृजन सदन में प्रस्तुत किए गए, जिसे सुनकर उपस्थित सहभागियों ने रामायण के मर्म के साथ राजस्थानी भाषा की मठोठ का भी आनंद लिया। रंगा द्वारा अनुवाद किए गए रामायण के चुनिंदा अंशों के माध्यम से राम के वनवास से लेकर लंका विजय और राम के अयोध्या आगमन तक का उल्लेख बहुत ही सुन्दर ढंग से सामने आया।
रंगा ने ‘किण भांत अजब है अंदाज तुलसी रौ/ओ नमूनौ है गुंसाई रै झीणै अहसास रौ’, ‘राजतिलक रै हरख में अेक अणहोणी हुयगी/कैकेई नैं रामचंदर जी सू अदावत हुयगी’, ‘भोर हुंवतै-हुंवतै चरचा चौफेर फैलगी/जिण सुणी उण रै अचरज री बात हुयगी’, ‘कांई हुयौ कै रातभर में हरख मातम हुयग्यौ/कांई हुयौ कै रामचंदर जी नैं बनवास हुयग्यौ’, ‘राजपाट बैठावण नैं कोई नीं हो/राजा दसरथ नैं उठावण नैं कोई नीं हो’ अर अंश वाचन में छेकड़ में रंगा ने वाचन करियौ –
देखण में लागी कै हड़मान जी री चालगी/ असल में सीता री आह ही लंका बाळगी…. इस तरह रंगा ने रामायण के सार को प्रस्तुत किया।
रंगा ने इस अवसर पर कहा कि बादशाह राणा द्वारा उर्दू रामायण अपना महत्व रखती है वहीं उन्होंने कहा कि राजस्थानी के अलावा भी अन्य भारतीय भाषाओं में छंद युक्त या लयात्मकता लिए हुए रामायण के सार को अनुवाद करना एक सुखद और सृजनात्मक उपक्रम होगा।
राजस्थानी अनुवाद में रामायण का लयात्मक वर्णन सुन सहभागी कवि गिरिराज पारीक, संजय सांखला, भवानी सिंह, गंगाबिशन बिश्नोई, हरिनारायण आचार्य, चांद सांखला, राजेश गुप्ता, अरुण गौड़, घनश्याम ओझा, अख्तर अली, भैरूरतन रंगा, शिवम, राहुल, इंद्रजीत रंगा, तोलाराम सहारण, जीवण लाल रंगा, गोविंद सहित सभी उपस्थित सहभागियों ने रामायण जैसी महान काव्य रचना का राजस्थानी में अनुवाद का आनंद लेते हुए इस आयोजन को एक सार्थक पहल बताया और कहा कि इसके और अधिक अंश आने वाले वर्ष में अनुवाद होकर आमजन तक पहुंचे तो इसकी सार्थकता और अधिक होगी।
प्रारंभ में सभी का स्वागत करते हुए प्रज्ञालय के राजेश रंगा ने सभी को दीप पर्व की शुभकामना देते हुए कहा कि राम एवं रामायण के महानचरित्रों से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम का संचालन युवा संस्कृतिकर्मी आशीष रंगा ने किया।