आखिर चेतना को लाया गया बाहर,लेकिन चेतना में नहीं बची कोई चेतना

THE BIKANER NEWS. राजस्थान के कोतपूतली में बोरवेल में गिरी तीन साल की चेतना को बाहर निकाल लिया गया है। लेकिन, चेतना में कोई चेतना नहीं बची है। बुधवार को 10वें दिन बोरवेल से उसकी लाश बाहर निकली है। बेटी की मौत से मां और परिवार का रो-रोकर बुरा हाल है। मासूम की मौत से किरतपुरा के बड़ियाली की ढाणी में मातम छाया हुआ है। परिवार के साथ गांव वाले भी मायूस हैं।
24 दिसंबर: सुबह 5:30 बजे से प्रशासन फिर सक्रिय हुआ। अधिकारियों ने परिजनों से चेतना को हुक में फंसाकर बाहर निकालने की अनुमति ली। 9:30 बजे तक बच्ची को 15 फीट ऊपर खींचा गया। लगातार अफसल होने के बाद प्रशासन ने हरियाणा के गुरुग्राम से पैरलल गड्डा खोदने के लिए पाइलिंग मशीन मंगवाई। रात करीब 11 बजे मशीन मौके पर पहुंची।
25 दिसंबर: 8:00 बजे से पाइलिंग मशीन से गड्ढा खोदने का काम शुरू किया गया। दोपहर एक बजे तक 40 फीट सुरंग करने के बाद पाइलिंग मशीन बंद की गई। शाम पांच पाइलिंग मशीन के साथ 4 फीट मोटा बिट असेंबल किया गया है। 5:30 बजे रेस्क्यू अभियान एक बार फिर से शुरू किया गया। शाम छह बजे 200 फीट क्षमता की एक और पाइलिंग मशीन मौके पर पहुंची। इसे चलाने के लिए गुजरात से एक और टीम भी पहुंची। आठ बजे रेट माइनर की टीम पहुंची। नौ बजे बच्ची की माता घोली देवी की तबीयत बिगड़ी। रात 11 बजे कोटपूतली-बहरोड़ कलेक्टर कल्पना अग्रवाल घटनास्थल पर पहुंची।
26 दिसंबर: सुबह 10 बजे पत्थर आने के कारण पाइलिंग मशीन को रोका गया। छह घंटे में मशीन से पत्थर को काटा गया। शाम करीब छह बजे गड्ढे की गहराई चेक की गई, इसके बाद पाइलिंग मशीन को हटाया गया। 6:30 बजे से क्रेन से गड्ढे में सेफ्टी पाइप लगाना शुरू किए गए।
27 दिसंबर: दोपहर करीब 12 बजे तक 170 फीट गहरे खोदे गए गड्ढे में लोहे के पाइप फिट किए गए। 12:40 बजे इन पाइप का वजन उठाने के लिए 100 टन क्षमता की मशीन मौके पर बुलाई गई। करीब एक बजे मौसम बदलने के कारण हुई बारिश से पाइप वेल्डिंग का काम रुक गया। शाम पांच बजे वेल्डिंग का काम दोबारा शुरू किया गया, जो देर रात तक चलता रहा।