बेसिक पी.जी. कॉलेज में ‘‘भारत में कैशलेस अर्थव्यवस्था: पक्ष एवं विपक्ष’’ विषयक डिबेट ग्रुप डिस्कशन का आयोजन

THE BIKANER NEWS:-बेसिक पी.जी. महाविद्यालय के सेमिनार हॉल में ‘‘कैशलेस इकॉनोमी इन इण्डिया: एडवांटेज एंड डिस्एडवांटेज’’ विषय पर डिबेट के रूप में एक ग्रुप डिस्कशन रखा गया। कार्यक्रम के प्रारम्भ मंे विषय प्रवर्तन करते हुए महाविद्यालय के वाणिज्य संकाय की व्याख्याता सुश्री जया व्यास ने बताया कि हम सदियों पुरानी वस्तु विनिमय प्रणाली, धातु के सिक्कों और कागजी नकदी से बहुत आगे निकल चुके हैं और एक ऐसे चरण में पहुंच गए हैं, जहां ठोस नकदी प्रचलन की जगह नकदी रहित अर्थव्यवस्था ले लेगी और नकदी रहित समाज अब केवल कल्पना की कल्पना नहीं रह गई है। जबकि नकदी अभी भी विश्व स्तर पर कुल मिलाकर राज करती है, अधिकांश देशों में नकदी रहितता की दिशा में प्रगति विशेष रूप से स्पष्ट है और इस स्थिति में, यह बेहतर है कि हर किसी को यह समझ हो कि नकदी रहित अर्थव्यवस्था क्या है और इसके फायदे और नुकसान क्या हैं। इस अवसर पर महाविद्यालय के विद्यार्थियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हुए हिमानी अग्रवाल, राशि स्वामी, बिवेक पुरोहित, किसन व्यास, मेघना ओझा, मोहित पंवार, गोपाल अग्रवाल, नेहा सुथार, रितिका व्यास, यशस्वी उपाध्याय, निखिल, अदिति पारीक सहित विभिन्न छात्र-छात्राओं ने पक्ष और विपक्ष के रूप में अपने-अपने विचार रखे।
कार्यक्रम के दौरान कार्यक्रम समन्वयक डॉ. रोशनी शर्मा, वरिष्ठ व्याख्याता वाणिज्य संकाय ने अपने संबोधन के दौरान बताया कि बीसवीं सदी के उत्तरार्ध से, भारत धीरे-धीरे लेकिन लगातार एटीएमएस, एमआईसीआर, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड के साथ कैशलेस अर्थव्यवस्था की ओर बढ़ रहा है। आज, आपके पास मोबाइल वॉलेट, रिचार्ज वाउचर, यूपीआई, एनएफसी भुगतान, क्यूआर कोड आदि हैं। इसके बारे में सोचें, भारत ने डिजिटल अपनाने के मोर्चे पर वास्तव में अच्छा प्रदर्शन किया है। डॉ. शर्मा ने कहा कि वित्तीय समावेशन पूरे देश में बैंकिंग सुविधा से वंचित और बैंकिंग सुविधाओं से वंचित लाखों लोगों को आशा दे रहा है और उन्हें एक बेहतर जीवन की आकांक्षापूर्ण जिंदगी की राह दिखा रहा है।
कार्यक्रम के अन्त में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित ने छात्रों को संबोधित करते हुए बताया कि एक समय कैशलेस समाज एक काल्पनिक सपना था, लेकिन अब ऐसा नहीं है। किसी भी विकासात्मक प्रक्रिया की तरह, इसके अपने फायदे और नुकसान हैं। साथ ही, यह सुनिश्चित करने का भी ध्यान रखा जाना चाहिए कि कैशलेस अर्थव्यवस्था में समाज के हर वर्ग के लोग शामिल हों और यह केवल शिक्षित उपयोगकर्ताओं तक ही सीमित न हो। कैशलेस अर्थव्यवस्था में संभावित ग्राहकों के रूप में, हमें डिजिटल प्रक्रिया और इसकी विशेषताओं को समझना चाहिए और उपयुक्त तरीके से उन्हें अपनाना चाहिए।
कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा, डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा, श्री वासुदेव पंवार, श्रीमती माधुरी पुरोहित, श्रीमती प्रभा बिस्सा, श्री सौरभ महात्मा, श्री विकास उपाध्याय, सुश्री अंतिमा शर्मा, श्रीमती अर्चना व्यास, श्री अजय स्वामी, श्रीमती शालिनी आचार्य, श्रीमती प्रेमलता व्यास, सुश्री जया व्यास, डॉ. नमामिशंकर आचार्य, श्री हितेश पुरोहित, श्री पंकज पाण्डे, श्री गुमानाराम जाखड़, श्रीमती दीपिका जांगिड़, श्री शिवशंकर उपाध्याय, श्री राजीव पुरोहित आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।
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