मांझे से न जाए इनकी जान तो इस गांव के लोगों ने छोड़ दिया पतंगबाजी का शौक

THE BIKANER NEWS:- राजस्थान के नागौर जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर दूर अजमेर रोड पर स्थित गांव ईनाणा एक ऐसा गांव है, जो अपने अनूठे फैसलों से अपनी अलग ही पहचान बनाएं हुए हैं. इस गांव के सामाजिक सरोकार की बात हो या अनूठे फैसलों की ये सभी में अपनी अलग पहचान बना चुका है. हाल ही में राज्य सरकार के जरिए सुबह और शाम को पतंगबाजी पर बैन लगाया गया है, जिससे बेजुबान पक्षियों को नुकसान ना पहुंचे, लेकिन इस गांव में आज से करीबन तीन साल पहले ही पतंगबाजी पर पूरी तरह से प्रतिबंध लगा दिया गया था.
इसी के चलते मकर संक्रांति पर इस गांव में पतंगबाजी ना करके केवल दानपुण्य और धर्म करके ही मकर संक्रांति मनाई जाती है. ग्रामीणों का कहना है कि पतंगबाजी करते समय बच्चे कई बार हादसों का शिकार हो जाते. इसके साथ ही चाइनीज डोर से पक्षियों को भी जान का नुक़सान होता और कई पक्षी चाइनीज डोर की चपेट में आने से घायल भी हो जाते . इन्हीं को देखते हुए गांव की चापल में पतंगबाजी में गांव में पूर्णतया बैन लगाने का फैसला लिया था . जो आज पक्षियों के लिए वरदान साबित हुआ . आज इस गांव में मकरसंक्रांति पर दानपुण्य किया जाता है . गायों को हरा चारा , गुड़ , लापसी खिलाई जाती है , घरों में पकवान बनाए जाते हैं . और एक दूसरे को मिठाई खिलाकर मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है .
सरनेम भी एक ही जैसा
इस गांव में सभी जाति के लोग अपना सरनेम भी एक ही लगाते हैं . यहां इस गांव में सर्व समाज के लोग रहते हैं और सभी अपना सरनेम ईनाणिया लगाते हैं . इस गांव में डीजे पर पाबंदी है, उठावनी पहरावनी बंद , मृत्यु भोज बंद हैं , गांव में दो दशक पहले शराब पर प्रतिबंध लगाया गया है और इस गांव की सीमा में भी कोई शराब नहीं बेच सकता , गुटखा, पान मसाला पर बैन है , पटाखों पर बैन है सहित कई सामाजिक फैसले लिए जा चुके हैं . इस गांव में आज भी गांव की चौपाल ( सराय) पर बुजुर्ग जो निर्णय ले लेते हैं उनकी सभी गांव वाले पालन करते हैं .