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बीकानेरशिक्षा

साक्षरता में दिखा उत्साह,बुनियादी साक्षरता परीक्षा एवं संख्यात्मक एसेसमेंट टेस्ट में 16 हजार लोगों को शामिल होना था। लेकिन शामिल होने पहुंच गए 18 हजार से ज्यादा। उपिस्थति प्रतिशत 112.5

THE BIKANER NEWS:-बीकानेर।अनपढ़ का ठपा, अंगूठे की छाप के कलंक से मुक्ति पाने में अब ज्यादा समय नहीं लगेगा। असाक्षर बड़े-बुजुर्गों, पुरुषों के साथ महिलाओं की अक्षर ज्ञान के लिए उत्सुकता देख लगा कि जिला सम्पूर्ण साक्षर बनने से ज्यादा दूर नहीं है। जिलेभर में रविवार को आयोजित बुनियादी साक्षरता परीक्षा एवं संख्यात्मक एसेसमेंट टेस्ट में 16 हजार लोगों को शामिल होना था। लेकिन शामिल होने पहुंच गए 18 हजार से ज्यादा। जिसके चलते उपिस्थति का प्रतिशत 112.5 पर पहुंच गया। अंगूठे की छाप मिटाने के लिए दो पीढि़याें के सदस्य एक साथ साक्षरता की राह पर चलते दिखे।

बीकानेर. नोखा में केन्द्र पर साक्षरता परीक्षा देने पहुंचे मां-बेटा ने कहा कि अंगूठा छाप मिटाने के लिए वह साथ-साथ अक्षर पढ़ना सीख रहे है। बीकानेर में 67 वर्षीय गंवरा देवी कभी स्कूल के आगे से नहीं निकली लेकिन, मोहल्ले के बच्चों को पढ़ने जाते देख उसने भी पढ़ने का निर्णय किया। साक्षर बनने की तमन्ना अब हर आयु वर्ग में जग चुकी है। इसमें उम्र भी आड़े नहीं आ रही है। इसकी झलक रविवार को राउप्रावि मोहनपुरा के साक्षरता परीक्षा केंद्र पर देखने को मिली। यहां भारत साक्षरता मिशन के तहत बुनियादी साक्षरता एवं संख्यात्मक एसेसमेंट टेस्ट में 10 लोग शामिल हुए। सभी की आयु 45 से 60 वर्ष के बीच थी।जिले में बुनियादी साक्षरता परीक्षा के लिए 800 से अधिक केन्द्र बनाए गए। जहां 25 से 70 वर्ष आयु वर्ग के 18 हजार 114 लोगों ने परीक्षा दी। सुबह 10 बजे शुरू हुई परीक्षा में 8263 पुरुष और 9851 महिलाएं शामिल हुई। परीक्षार्थियों को नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओपन स्कूल की ओर से साक्षरता के प्रमाण पत्र दिए जाएंगे।
नवसाक्षरों की जुबानी…अब अंगूठा लगाने में आने लगी शर्म
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नोखा. राउप्रावि मोहनपुरा के परीक्षा केंद्र पर परीक्षा में शामिल हुई कमला (50) ने कहा कि बचपन में माता-पिता उन्हें पढ़ा नहीं सके। अब जहां भी जाते हैं, साइन करने के लिए कहा जाता है। अंगूठा लगाने की बात कहने में ही शर्म आने लगी। ऐसे में साक्षर होकर हस्ताक्षर करने सहित थोड़ा-बहुत पढ़ना-लिखना सीखने की ठानी। बेटा प्रकाश मजदूरी करता है। वह भी साक्षर बनने के लिए तैयार हो गया। दोनों मां-बेटा एक साथ परीक्षा देने आए हैं।बच्चों से सीखा पढ़ाना-लिखना

बीकानेर. इंदिरा कॉलोनी के परीक्षा केन्द्र पर 63 वर्षीय भगवती देवी ने कहा कि जब पढ़ने की उम्र थी, नहीं पढ़ सकी। अब घर में बच्चों को पढ़ते देख उम्र के इस पड़ाव में पढ़ने की ललक जगी। संकोच करते हुए एक दिन परिवार के सामने अपनी भावना रखी। फिर सभी ने प्रेरित किया और पढ़ने में मदद भी की। चालीस साल की सूरजकंवर ने कहा कि संकोच छोड़कर पढ़ना शुरू कर दें तो साक्षर बनने में कोई बाधा नहीं आती।

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