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बीकानेर शहर की समस्याएं वर्षों से जस की तस बस राज बदलने के साथ नजरिया भी बदल जाता है

 
THE BIKANER NEWS:-बीकानेर, बीकानेर शहर की  मूलभूत समस्याएं जैसे बिजली पानी,सड़के,नाले और नालियों हो या फिर रेल फाटक, सूरसागर हो, शहर में नशा बिक रहा हो या जुआ चल रहा हो  बात करे तो  ये पिछले कई वर्षो से चली आ रही है जिसको लेकर सोशल मीडिया पर भाजपा और कोंग्रेस पार्टी के समर्थक एक दूसरे से उलझे रहते है तर्क और बहसबाजी करते रहते है लेकिन धरातल पर कभी भी विरोध नही किया किसी ने भी। बस चुनावो के बाद उनका सोशल मीडिया पर पोस्ट करने का नजरिया बदलता रहता है। जब भाजपा का राज आता है तो कोंग्रेस वालो को शहर में ढेरों  समस्याएं नज़र आने लगती है,शहर अनाथ दिखने लगता है और गली मोहल्लों के कोने कोने से समस्याओ के फोटो वीडियो चुन चुन कर लाते है और सोशल मीडिया पर बिखेर देते है मगर किसी अधिकारी या नेता से कह कर समस्या का निवारण नही करवाते। यही हाल भाजपा के समर्थकों का भी है जब कोंग्रेस का राज़ आता है तो उनकी सोशल मीडिया में शिकायतों के अंबार लग जाते है। और फिर दोनो पार्टियों के समर्थक "आपके राज़ में" ये समस्याएं नही थी क्या कहकर उलझने लगते है। मगर धरातल पर कोई काम नही करना चाहता क्यों की उस के लिए नेताओ के सरकारी अधिकारियों के चक्कर काटने पड़ते है और इसका समय किसी के पास है नही। हाँ ये जरूर है की पार्टी जब संगठन को मजबूत करने के लिए पदाधिकारी बदलती है जैसे शहर और ग्रामीण जिलाध्यक्ष,मंडल अध्य्क्ष या कोई भी छोटा मोटा पद हो तो सोशल मीडिया पर बाढ़ आ जाती है और जानपहचान वालो को फोन कर कर के दावेदारी की मजबूती के  लिए पोस्ट करवाई जाती है। जब पद मिल जाता है तो फिर अपने नाम के आगे  भाजपा/कोंग्रेस शहरी/,ग्रामीण, फला फला मोहल्ला/गेट मंडल अध्य्क्ष लिखकर पोस्ट चालू कर देते है। जबकि की उन्होंने आज तक कभी अपने वार्ड की तो छोड़ो गली की भी कोई समस्या का निवारण नही कराया होगा। और फिर अपनी पार्टी के राज़ (विधायक) के कार्यकाल को अच्छा और विरोधी के  कार्यकाल को खराब बताते बताते कब पाँच साल निकल जाते है पता ही नही चलता और समस्याएं वही की वही रहती है बस देखने और सोचने का नजरिया बदल जाता है दोनो तरफ का।