'Operation Sindoor' के चलते पाकिस्तान को हुआ भारी-भरकन नुकसान! जाने
नुकसान IMF पैकेज से भी ज्यादा
Operation Sindoor: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहा सैन्य संघर्ष 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद समाप्त हो गया। शनिवार शाम 5 बजे के बाद से दोनों देशों के बीच कोई गोलीबारी या ड्रोन हमला नहीं हुआ है। दोनों देशों की सेनाओं ने भी इसी तरह के दावे किये। अगर हम ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान को हुए नुकसान की बात करें तो वह कम नहीं है। बेचारे पाकिस्तान का शेयर बाजार को ही 80 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान हुआ।
अन्य क्षति के बारे में अभी तक कोई जानकारी जारी नहीं की गई है। कितने पाकिस्तानी विमान और ड्रोन नष्ट किये गये? इसके अलावा, पाकिस्तान के बुनियादी ढांचे को कितना नुकसान पहुंचा है? वायुसेना और हवाई अड्डों के बंद होने से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को कितना नुकसान हुआ? एक अनुमान के अनुसार, इस सबमें पाकिस्तान को कई अरब डॉलर का नुकसान हुआ होगा। लेकिन इसकी अभी तक पुष्टि नहीं हुई है। लेकिन अगर शेयर बाजार में हुए नुकसान के आंकड़ों से देखा जाए तो पाकिस्तान को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ है। आइये जानें ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था कैसी है।
पाकिस्तान शेयर बाजार में भारी गिरावट:
सबसे पहले पाकिस्तान शेयर बाजार की बात करें तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद कराची स्टॉक एक्सचेंज तीन दिनों तक खुला रहा। इसके अलावा, इन तीन दिनों में से दो दिन केएसई को भारी नुकसान उठाना पड़ा। आईएमएफ बेलआउट पैकेज मिलने की संभावना के चलते पिछले कारोबारी दिन यानी 9 मई को शेयर बाजार में मामूली बढ़त देखी गई। इसके बाद भी इन तीन दिनों में पूरे बाजार में लगभग 6,400 अंकों की गिरावट आई। आंकड़ों पर नजर डालें तो 6 मई को पाकिस्तान स्टॉक एक्सचेंज 113,568.51 अंक पर बंद हुआ। उसी दिन देर रात भारत की ओर से ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया गया। अगले दिन, 7 मई को कराची स्टॉक एक्सचेंज 3,559.48 अंक की गिरावट के साथ 110,009.03 अंक पर बंद हुआ।
फिर, 8 मई को दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया, जिससे कराची स्टॉक एक्सचेंज पर दबाव पड़ा। इसके चलते 8 मई को 6,482.21 अंकों की गिरावट आई। 8 मई को गिरावट इतनी भयंकर थी कि बाजार में कुछ देर के लिए कारोबार रोकना पड़ा। ऐसे में कराची स्टॉक एक्सचेंज को दो दिनों में 10,041.69 अंकों का नुकसान हुआ। 9 मई को पाकिस्तान शेयर बाजार में उछाल देखा गया और यह 3,647.82 अंक बढ़कर 107,174.64 अंक पर बंद हुआ। तीन दिनों में पाकिस्तानी बाजार को कुल 6,393.87 अंकों का नुकसान हुआ।
80 हजार करोड़ से अधिक का नुकसान:
पाकिस्तानी शेयर बाजार में हुई इस भारी गिरावट के कारण वहां के निवेशकों को भी भारी नुकसान उठाना पड़ा। बताया जा रहा है कि यह नुकसान 80 हजार करोड़ रूपए से ज्यादा का होगा। कराची स्टॉक एक्सचेंज के मूल्यांकन के अनुसार यह बहुत अधिक है। 6 मई को जब केएसई बंद हुआ तो इसका मूल्य 50.67 बिलियन डॉलर था। इसके बाद ऑपरेशन सिंदूर शुरू हुआ। 9 मई को शेयर बाजार बंद होने के बाद KSE 100 का मूल्य 47.82 बिलियन डॉलर तक गिर गया। इसका मतलब है कि निवेशकों को तीन दिनों में 2.85 बिलियन डॉलर का नुकसान हुआ। अगर पाकिस्तानी रुपयों में इसकी गणना की जाए तो यह 80 हजार करोड़ रुपये से अधिक होगा।
नुकसान आईएमएफ पैकेज से भी अधिक:
खास बात यह है कि ऑपरेशन सिंदूर से पाकिस्तानी शेयर बाजार को भारी नुकसान हुआ। यहां तक कि पाकिस्तान को आईएमएफ से मिलने वाली धनराशि भी स्वीकृत नहीं की गई। आईएमएफ ने पाकिस्तान के लिए 2.1 अरब डॉलर के बेलआउट पैकेज की घोषणा की है। एक अरब डॉलर तुरन्त दिये जायेंगे। वहीं, पाकिस्तानी शेयर बाजार को 2.85 अरब डॉलर का नुकसान हुआ। यह आईएमएफ पेकेल से कई मिलियन डॉलर अधिक है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते हैं कि पाकिस्तान जिस आईएमएफ पैकेज के लिए अमेरिका से गुहार लगा रहा है, उससे कहीं ज्यादा नुकसान कराची स्टॉक एक्सचेंज के ऑपरेशन सिंदूर ने किया है।
क्या पाकिस्तान को यहां भी नुकसान हुआ है?
भारत के हमलों से न केवल पाकिस्तान बल्कि अन्य स्थानों पर भी आतंकवादी शिविरों को नुकसान पहुंचा है; इसमें मुजफ्फराबाद स्थित एक मदरसा और एक मस्जिद शामिल हैं। पाकिस्तानी सरकार को क्षतिग्रस्त नागरिक संपत्ति की मरम्मत और मुआवजे पर खर्च करना होगा। इससे पाकिस्तान के खजाने और उसकी अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ेगा। पाकिस्तान ने अपनी सेना को हाई अलर्ट पर रखा तथा अपनी सीमित जवाबी कार्रवाई की। लड़ाकू स्क्वाड्रनों, वायु रक्षा इकाइयों को जुटाने और सैनिकों को सीमा तक पहुंचाने की लागत बहुत अधिक है। उच्च तनाव के समय ईंधन, रखरखाव और रसद लागत भी अर्थव्यवस्था पर दबाव डालती है। भारत की कूटनीतिक और आर्थिक कार्रवाइयों ने पाकिस्तान को कुछ हद तक अलग-थलग कर दिया है। भारतीय बाजार तक पहुंच खत्म होने (हालांकि सीमित) से सीमेंट, फल और कपड़ा जैसे उत्पादों के पाकिस्तानी निर्यातकों को नुकसान हो रहा है, जिन्हें पहले भारत में खरीदार मिलते थे। हालाँकि, इससे पाकिस्तान की अंतर्राष्ट्रीय प्रतिष्ठा को और भी अधिक नुकसान पहुंचा।