Indian Railways : अब रेलवे का सफर होगा आरामदायक, ट्रेनों में लगेंगे एलएचबी कोच
वर्तमान में चंडीगढ़ स्टेशन से लंबी दूरी की 17 ट्रेनें देश के विभिन्न हिस्सों के लिए चलती हैं। इनमें से 12 ट्रेनों में पहले ही एलएचबी कोच लगाए जा चुके हैं, जबकि शेष 5 ट्रेनों में कोच परिवर्तन का कार्य पांच चरणों में किया जाएगा।
Indian Railway : चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से रवाना होने वाली सभी यात्री ट्रेनों में अब आइसीएफ कोच की जगह आधुनिक लिंके-हाफमैन-बुश (एलएचबी) कोच लगाए जाएंगे। यात्रियों की सुरक्षा और यात्रा को अधिक आरामदायक बनाने के उद्देश्य से रेलवे ने यह निर्णय लिया है।
वर्तमान में चंडीगढ़ स्टेशन से लंबी दूरी की 17 ट्रेनें देश के विभिन्न हिस्सों के लिए चलती हैं। इनमें से 12 ट्रेनों में पहले ही एलएचबी कोच लगाए जा चुके हैं, जबकि शेष 5 ट्रेनों में कोच परिवर्तन का कार्य पांच चरणों में किया जाएगा।
रेलवे के अनुसार पहले चरण की शुरुआत जुलाई में की जाएगी। इसमें तीन ट्रेनों को एलएचबी कोच से सुसज्जित किया जाएगा। गाड़ी संख्या 12312 नेताजी एक्सप्रेस (कालका हावड़ा) में 17 जुलाई 2025 से, गाड़ी संख्या 14218 ऊंचाहार एक्सप्रेस में 22 जुलाई 2025 से और गाड़ी संख्या 12232 सद्भावना सुपरफास्ट में 24 जुलाई 2025 से एलएचबी कोच लगाए जाएंगे।
वहीं, जो दो ट्रेनें बची हैं, चंडीगढ़ फिरोजपुर इंटरसिटी और चंडीगढ़ रामनगर इंटरसिटी उनमें दिसंबर 2025 तक एलएचबी कोच लगाए जाने की योजना है। इसके बाद चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन से चलने वाली सभी ट्रेनों में पुराने आइसीएफ कोच पूरी तरह हट जाएंगे और हर ट्रेन में अत्याधुनिक एलएचबी कोच होंगे।
स्टेनलेस स्टील से निर्मित कोच होते हैं हल्के : इन कोचों की खास बात यह है कि ये जर्मन तकनीक से बनाए जाते हैं और इनका निर्माण कपूरथला स्थित रेल कोच फैक्ट्री में होता है।
स्टेनलेस स्टील से निर्मित ये कोच हल्के होने के साथ-साथ अधिक सुरक्षित हैं। इनमें डिस्क ब्रेक प्रणाली का इस्तेमाल होता है जो उच्च गति पर भी बेहतर तौर से नियंत्रण प्रदान करता है।
एलएचबी कोच की अधिकतम गति 200 किलोमीटर प्रति घंटा होती है, जबकि परिचालन गति 160 किलोमीटर प्रति घंटा तक रहती है।
इसके अलावा इन कोचों में स्लीपर श्रेणी में 80 और थर्ड एसी में 72 यात्रियों के बैठने की व्यवस्था होती है। पुराने कोचों की तुलना में ये कोच 1.7 मीटर अधिक लंबे होते हैं और इनका राइड इंडेक्स 2.5 से 2.75 के बीच रहता है, जो यात्रा को अधिक आरामदायक बनाता है।
रखरखाव के लिहाज से भी एलएचबी कोच अधिक उपयोगी हैं, क्योंकि इन्हें केवल दो साल में एक बार ओवरहाल की आवश्यकता होती है।
रेलवे अधिकारियों का कहना है कि यह कदम यात्रियों की सुरक्षा के लिए बेहद अहम है। इन कोचों की वजह से हादसों की स्थिति में जानमाल की क्षति की संभावना बेहद कम हो जाती है। साथ ही, नई तकनीक और डिजाइन यात्रियों को एक बेहतर और सुरक्षित यात्रा का अनुभव देंगे