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Property News: रूपये लेकर जमीन की रजिस्ट्री करवाने पर मुकर जाए तो यह कानून करेगा आपकी सहायता

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Property News: अक्सर लोग जमीन या मकान का सौदा कर लेते हैं। पैसे भी दे दिए जाते हैं, लेकिन जब रजिस्ट्री की बारी आती है, तो विक्रेता मुकर जाता है। ऐसे में क्या किया जाए? भारतीय कानून में इसका समाधान है। 

Specific Relief Act, 1963 कहता है कि अगर किसी ने लिखित एग्रीमेंट के जरिए संपत्ति बेचने का वादा किया है, तो वह वादा सिर्फ जुबानी नहीं बल्कि कानूनी रूप से बाध्यकारी होता है। अगर विक्रेता मुकरता है, तो खरीदार अदालत में याचिका दायर कर सकता है और रजिस्ट्री के लिए आदेश मांग सकता है। 

इसे 'विशिष्ट निष्पादन' कहा जाता है। अदालत यह भी देखती है कि विक्रेता उस जमीन को किसी और को न बेच दे या उस पर कब्जा न कर ले। ऐसे में कोर्ट रोक लगाने का आदेश दे सकती है। सुप्रीम कोर्ट ने भी एक फैसले में कहा है कि एक बार एग्रीमेंट होने के बाद कोई निजी कारण देकर पीछे नहीं हट सकता है। 

रजिस्ट्री करना अनिवार्य है। इसलिए जब भी आप कोई संपत्ति खरीदें या बेचें, तो कुछ बातें जरूर ध्यान में रखें। सबसे पहले, हर समझौता लिखित रूप में करें और उसे रजिस्टर्ड करवाएं। मौखिक बातों पर भरोसा न करें। दूसरी बात, विक्रेता की जमीन की वैधानिक स्थिति की जांच कराएं—जैसे कि वह उस जमीन का असली मालिक है या नहीं, जमीन पर कोई केस तो नहीं चल रहा। तीसरी बात, अगर सामने वाला वादा पूरा नहीं कर रहा, तो तुरंत कानून की मदद लें। देर करने से मामला कमजोर हो सकता है।