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डीजल बसें बनेंगी इलेक्ट्रिक, सड़कों पर धूम मचाने को तैयार, ऐसा करने वाला बना देश का पहला राज्य

नवाबों के शहर से होगी शुरुआत

 

Uttar Pradesh News: उत्तर प्रदेश देश का पहला राज्य बनने जा रहा है, जो डीजल से चलने वाली सरकारी सार्वजनिक परिवहन बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलेगा। उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के वरिष्ठ अधिकारियों ने बताया कि निगम ने ट्रायल के तौर पर कानपुर के राम मनोहर लोहिया वर्कशॉप में अपनी आठ साल पुरानी दो साधारण डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदल दिया है।

निगम का लक्ष्य 500 डीजल बसों को इलेक्ट्रिक बसों में बदलना है। अधिकारियों के मुताबिक, डीजल को इलेक्ट्रिक बसों में बदलने से प्रदूषण कम होता है। साथ ही, डीजल बसों के मुकाबले इलेक्ट्रिक बसों को चलाने की लागत भी कम होगी।

वर्तमान में उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के बेड़े में करीब 12500 बसें हैं। इनमें से 9500 बसें निगम की हैं और 3000 बसें अनुबंध पर संचालित हैं।

पहले निगम की योजना 10 साल पुरानी और आठ लाख किलोमीटर चल चुकी बसों को नीलाम करने की थी, लेकिन अब उसने अलग तरीका अपनाते हुए उन्हें इलेक्ट्रिक वाहनों में बदलने की योजना बनाई है। 

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के प्रबंध निदेशक मासूम अली सरवर ने कहा कि परिवहन विभाग ऐसे कई कार्यों का अग्रणी है और देश में किसी राज्य परिवहन निगम द्वारा ऐसा प्रयास पहली बार किया जा रहा है। 

उन्होंने कहा, "आज की स्थिति में डीजल, सीएनजी और इलेक्ट्रिक जैसे विभिन्न ईंधन विकल्प उपलब्ध हैं। हम हाइड्रोजन वाहन चलाने की भी संभावना तलाश रहे हैं।" बसों के रेट्रोफिटिंग का काम निजी कंपनियों के सहयोग से किया जा रहा है। इन बसों का संचालन झांसी-ललितपुर रूट पर किया जाएगा। 

वरिष्ठ अधिकारियों ने कहा, "इन बसों के रेट्रोफिटिंग का खर्च संबंधित निजी कंपनियां उठाएंगी और बस की नई बॉडी का निर्माण कार्य यूपीएसआरटीसी द्वारा किया जा रहा है। इस परियोजना पर प्रति बस करीब 90 लाख रुपये खर्च किए जा रहे हैं। यह तो बस शुरुआत है, भविष्य में बसों को बदलने की लागत और भी कम होगी।" 

निगम अगले कुछ सालों में 5000 इलेक्ट्रिक बसें जोड़ने की योजना बना रहा है। हाल ही में इसने 120 इलेक्ट्रिक बसें खरीदी हैं, जिनमें 20 एसी इलेक्ट्रिक डबल डेकर बसें भी शामिल हैं।