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राजस्थान में कब्जे वाली जमीनों पर अब मिलेगा मालिकाना हक! जानें भजनलाल सरकार का पूरा प्लान 

 

Rajasthan News : गांव में आपके घर, भूखण्ड, बाड़े आदि का कोई कानूनी दस्तावेज आपके पास नहीं है तो अब ज्यादा फिक्र करने की जरुरत नहीं है। आपकी यह चिंता जल्द दूर होने वाली है। प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत उदयपुर के 2 हजार 42 राजस्व गांवों का सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से ड्रॉन सर्वे और जियो मैपिंग का काम पूरा कर लिया गया है। इसमें प्रत्येक गांव की एक-एक इंच को मारा जाएगा। 

यहां के ग्रामीणों को आवासीय मकान, भूखण्ड इत्यादि का कानूनी रूप से मालिकाना अधिकार मिल सकेगा। इसमें 4 ब्लॉक के राजस्व गांव शामिल है। कुछ जगह अधिकार पत्र वितरित भी किए गए हैं। 478 ऐसे गांव भी चिह्नित किए गए हैं जहां की मैपिंग संभव नहीं है। शेष 16 ब्लॉक में ड्रॉन सर्वे और जियो मैपिंग के लिए भी कवायद तेज की गई है।

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना के तहत सर्वे ऑफ इंडिया की ओर से ग्रामीण क्षेत्र में ड्रॉन से सर्वे और जियो मैपिंग की जा रही है। सर्वे के बाद प्रत्येक व्यक्ति की आबादी भूमि की सम्पत्ति के मैप-1 और मैप-2 तैयार किए जाते हैं। इसके बाद आपत्तियां मांगी जाती है। 

किसी तरह का विवाद या आपत्ति नहीं आने पर सम्पत्ति का अधिकार पत्र तैयार किया जाता है। उदयपुर जिले के मावली, भीण्डर, कुराबड़ एवं वल्लभनगर पंचायत समितियों में मेप-2 के माध्यम से ग्रामीण आबादी क्षेत्र की संपत्तियों का सर्वेक्षण कर प्रॉपर्टी पार्सल तैयार किए गए हैं। 

ग्रामीणों को संपत्तियों पर अधिकार संबंधी पट्टे (अधिकार पत्र) के लिए संबंधित ग्राम पंचायत कार्यालय में आवेदन करना होगा। इसके बाद उन्हें पट्टे जारी किए जा सकेंगे। ड्रोन तकनीक से संपत्तियों का सटीक नक्शा भी मिल सकेगा।

ये है स्वामित्व योजना

प्रधानमंत्री स्वामित्व योजना का उद्देश्य देश के ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले लोगों को उनकी आवासीय संपत्तियों का कानूनी अधिकार पत्र, पट्टा प्रदान करना। इस योजना के अंतर्गत ड्रोन सर्वेक्षण और जियो-मैपिंग तकनीक से ग्राम स्तर पर हर संपत्ति को चिन्हित किया जाता है।

लोगों को ये मिलेगें फायदे

बैंक से ऋण लेना आसान हो जाएगा।

गांव के आबादी वाले क्षेत्र के सभी भूखंडों का डिजिटल नक्शा तैयार होगा।

 गांव में प्रत्येक संपत्ति के सटीक क्षेत्रफल पर संपत्ति कार्ड बनाया जाएगा।

गांव के घरेलू मालिक को कानूनी दस्तावेजी मालिकाना हक मिल सकेगा।

ऋण लेने और अन्य वित्तीय लाभ के लिए भी अधिकार पत्र मददगार बनेंगे।

 संपत्ति विवाद और कानूनी मामलों में कमी आएगी।

संपत्ति कर का निर्धारण भी आसानी से किया जा सकेगा।

भूमि अभिलेखों का सटीक निर्धारण किया जा सकेगा