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Rajasthan News : युवक का क्रेडिट स्कोर खराब हुआ तो नहीं होगी शादी, राजस्थान के इस जिले में तेजी से बढ रहा है चलन

यदि युवक का क्रेडिट स्कोर खराब है तो शादी होना मुश्किल है। इसका असर यह हो रहा है कि अविवाहित युवकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह किसी एक समाज की समस्या नहीं है, बल्कि सभी समाजों में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। यदि युवक का कमाई का पैकेज अच्छा नहीं है तो लड़कियां उसे रिजेक्ट कर देती हैं।
 

Rajasthan News : लडका-लड़की की जन्मकुंडली देख कर रिश्ता तय करना पुरानी बात हो गई है। अब शहर की युवतियां होने वाले पति का क्रेडिट स्कोर देख रही हैं। महानगरों की तर्ज पर अलवर में भी यह चलन तेजी से बढ़ने लगा है। 

 

यदि युवक का क्रेडिट स्कोर खराब है तो शादी होना मुश्किल है। इसका असर यह हो रहा है कि अविवाहित युवकों की संख्या तेजी से बढ़ रही है। यह किसी एक समाज की समस्या नहीं है, बल्कि सभी समाजों में यह चलन तेजी से बढ़ रहा है। यदि युवक का कमाई का पैकेज अच्छा नहीं है तो लड़कियां उसे रिजेक्ट कर देती हैं।

 

क्या होता है क्रेडिट स्कोर 

बिल स्कोर किसी व्यक्ति की क्रेडिट हिस्ट्री का मूल्यांकन करता है, जो 300 से 900 के बीच होता है। उच्च सिबिल स्कोर (750) व्यक्ति की वित्तीय स्थिरता और समय पर ऋण चुकाने की क्षमता को दर्शाता है। लोग ज्यादा कर्ज अथवा कम सिबिल स्कोर पर रिश्ते से दूरी बना रहे हैं। आर्थिक सुदृढ़ता के लिए ही सिबिल स्कोर जांचा जाता है।

अलवर जिला ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष विशंभर दयाल वशिष्ट ने बताया कि हमारे समाज में भी युवतियां शादी से पहले युवाओं की आर्थिक स्थिति जांच रही हैं ताकि शादी के बाद उन्हें कोई परेशानी न हो।

आधुनिक शिक्षा के असर के चलते वे अपने भावी जीवनसाथी का सिविल स्कोर देख रही हैं। पढ़ाई से ज्यादा क्रेडिट स्कोर देखा जा रहा है। शहर के साथ-साथ गांवों में भी ऐसा होने लगा है। कई युवाओं की आर्थिक स्थिति सामान्य होने के कारण उनकी शादी नहीं हो रही है।

अग्रवाल महासभा के प्रधान अमित गोयल हमारे समाज में विवाह योग्य युवक-युवतियों के बायोडाटा एकत्रित किए जाते हैं। लड़कों के 75 प्रतिशत और लड़कियों के मात्र 25 प्रतिशत ही बायोडाटा आते हैं। इसकी वजह है कि लड़कियां अच्छा क्रेडिट स्कोर वाला लड़का पसंद करती हैं। 

जो शादी के बाद ज्यादा खर्चा कर सके। यह भी देखा जाता है कि युवक पर कोई लोन बकाया न हो। लडकियों को मनोरंजन, मोबाइल, व्हीकल व सैर-सपाटे के लिए अतिरिक्त खर्चा चाहिए। वो कम पैसे में एडजस्ट नहीं करना चाहती। इसी वजह से समाज में अविवाहित युवकों की संया बढ़ती जा रही है