{"vars":{"id": "125777:4967"}}

Rajasthan News: राजस्थान की वो मां जिसने बनाया मेवाड़ का इतिहास, देखिये पूरी जानकारी 

राजस्थान की भूमि वीरों और माताओं की तपस्या से सींची गई है. पन्नाधाय चित्तौड़गढ़ की राजमहल में रानी कर्मावती की दाई थीं और राणा संग्राम सिंह के पुत्र राणा उदयसिंह की देखभाल करती थीं. Panna Dhai

 

Rajasthan History Panna Dhai: पन्नाधाय मेवाड़ राज्य की एक वीरांगना और बलिदानी मां थीं, जिनका नाम इतिहास में राजभक्ति और मातृत्व के प्रतीक के रूप में अमर है. उन्होंने अपने पुत्र की बलि देकर राणा उदयसिंह द्वितीय की जान बचाई और मेवाड़ के भविष्य की रक्षा की.

राजस्थान की भूमि वीरों और माताओं की तपस्या से सींची गई है. पन्नाधाय चित्तौड़गढ़ की राजमहल में रानी कर्मावती की दाई थीं और राणा संग्राम सिंह के पुत्र राणा उदयसिंह की देखभाल करती थीं. Panna Dhai


जब चित्तौड़ के प्रमुख सरदार बनवीर ने सत्ता हथियाने की साजिश रची और राजपरिवार के सभी उत्तराधिकारियों को मारने का प्रयास किया. तब पन्नाधाय ने अपने पुत्र चंदन की बलि देकर राणा उदयसिंह को बचाया. उन्होंने राजकुमार को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया और मेवाड़ को उसका सही उत्तराधिकारी दिलाया.Rajasthan History Panna Dhai


पन्नाधाय के इस त्याग ने मेवाड़ को फिर से एक मजबूत शासक दिया. राणा उदयसिंह बाद में महाराणा प्रताप के पिता बने. जिनका नाम भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया है.


चित्तौड़गढ़ में पन्नाधाय स्मारक, राजस्थान के स्कूलों में बलिदान पढ़ाया जाता है. भारत सरकार द्वारा डाक टिकट जारी, "पन्नाधाय" नाम से पुरस्कारों की शुरुआत ये चीजें आज भी पन्नाधाय की विरासत में हैं.Rajasthan History Panna Dhai


पन्नाधाय ने न केवल मेवाड़ की रक्षक थीं, बल्कि सम्पूर्ण भारत की संस्कृति और मानवीय मूल्यों की प्रतीक है. उनका जीवन हमें यह सिखाता है कि कर्तव्य और बलिदान सबसे बड़ा धर्म होता है.