Rajasthan News: चट्टान खिसकने पर अब बंद नहीं होंगें माउंट आबू के रास्ते, सरकार ने तैयार किया ये खास प्लान, जानें
Rajasthan News: भारत-पाक के मध्य उपजे तनाव को ध्यान में रखते हुए सुरक्षा व्यवस्थाओं को चाक चौबंद बनाए रखने को लेकर माउंट आबू में लंबे समय से क्षतिग्रस्त होकर अवरुद्ध पड़े वैकल्पिक मार्ग मिन्नी नक्की लेक -गुलाबगंज मार्ग को दुरुस्त करने को लेकर उपखण्ड अधिकारी डॉ. अशु प्रिया ने संबंधित अधिकारियों से चर्चा की।
उपखंड अधिकारी ने शुक्रवार को हुई बैठक में कहा कि अभी माउंट आबू से निकासी का एकमात्र आबूरोड-माउंट आबू मार्ग ही है, जो आपातकालीन परिस्थितियों के लिए पर्याप्त नहीं है। साथ ही मानसूनी बारिश के दौरान पहाड़ों से चट्टाने गिरने पर यह मार्ग भी कई बार बंद हो जाता है। जिससे लोगों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ऐसे में वैकल्पिक मार्ग दुरुस्त करना जरूरी है।
एक ही मार्ग होने से कई बार फंस जाते हैं सैलानी
वर्तमान में माउंट आबू आवागमन का एकमात्र आबूरोड-माउंट आबू सड़क मार्ग है। वर्ष 1973, 1992, 2017 में चटटानें खिसकने से यह मार्ग कई दिनों तक अवरुद्ध होने से हजारों देसी-विदेशी पर्यटक फंस गए थे। जिससे पर्यटकों को परेशानियों का सामना करना पड़ा था।
इस समस्या को देखते हुए राज्य सरकार ने सिरोड़ी-गुलाबगंज से होते हुए माउंट आबू मार्ग विकसित किया था। जिस पर हल्के वाहनों का आवागमन होने लगा था। कुछ दिनों बाद मार्ग बंद हो गया। जिससे वैकल्पिक व्यवस्था ठप होने पर पर्वतीय पर्यटन स्थल फिर से खतरे में पड़ गया।
इसलिए जरूरी है वैकल्पिक मार्ग
आबूरोड से माउंट आबू एकमात्र सडक़ पर बारिश के दौरान चट्टानें खिसकने से मार्ग अवरुद्ध होने पर यहां स्थित कई महत्वपूर्ण सरकारी संस्थान, वर्षभर आने वाले करीब 40 लाख से अधिक सैलानियों, अति विशिष्ट, विशिष्ट लोगों की बढ़ती आवाजाही को देखते 70 के दशक में वैकल्पिक मार्ग की आवश्यकता महसूस की गई और माउंट आबू-गुलाबगंज को वैकल्पिक मार्ग के रूप में प्रस्तावित किया गया। इससे जिला मुयालय की दूरी भी करीब 28 किलोमीटर कम हो गई थी।
1.34 करोड़ की थी योजना
गुलाबगंज से माउंट आबू तक सीधी सड़क बनाने के लिए सर्वे करा एक करोड़ 34 लाख रुपए की योजना बनाकर निर्माण कार्य शुरू कर आधारभूत ढांचा तैयार किया। गुलाबगंज की ओर से करीब 10 किलोमीटर डामरीकरण कर पक्का मार्ग बनाया, शेष माउंट आबू तक सुव्यवस्थित कर वाहनों की आवाजाही होने लगी।
ऐसे हुआ मार्ग क्षतिग्रस्त
इस मार्ग के माउंट आबू वाले छोर के तालाब किनारे बंध बनाकर 1987 में अकाल राहत कार्यों के दौरान मिनी नक्की झील के रूप में विकसित किया। मार्ग का रुख प्रस्तावित झील के किनारे से मोड़ते हुए देलवाड़ा-गुरुशिखर मार्ग पर जोड़ने का निर्णय किया।
जिससे इस मार्ग पर आवाजाही बंद हो गई। इसके बाद बारिश में पानी के कटाव से यह क्षतिग्रस्त हो गया। जिसकी किसी ने सुध नहीं ली। इससे यहां यह परेशानी बनी रह गई।