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 राजस्थान की बेटी ने रचा इतिहास, मजदुर परिवार से उठकर कुश्ती की दुनिया में मचाई धूम, पढ़ें सक्सेस स्टोरी- Rajasthan Ashwini Wrestling Success Story

डर-17 स्पर्धा में एथेंस, ग्रीस में चल रही वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अश्विनी ने 65 किलो भार वर्ग में कजाकिस्तान की ख्यातनाम पहलवान को मात देकर गोल्ड मेडल जीता है.
 

Ashwini Wrestling Success Story: अक्सर कुछ लोग अपनी मेहनत से ऐसा मुकाम हासील कर लेते है। जिस पर देश को नाज होता है।  बता दे की ऐसा ही काम राजस्थन की बेटी ने किया है।  बता दे की अश्विनी एक मजदूर परिवार से निकलकर विश्व पटल पर तिरंगा लहराने वाली बेटी हैं और वास्तव में नवयुवाओं के लिए प्रेरणास्रोत हैं. डिप्टी सीएम ने कहा कि संकल्प, परिश्रम और समर्पण से कोई भी शिखर अजेय नहीं है. आज हम इस आर्टिकल में धाकड़ प्लेयर की सक्सेस स्टोरी के बारे में बताएंगे. Success Story
 

एक भी अंक दिए स्वर्ण पदक जीता 

भीलवाड़ा की अश्विनी ने आज उपमुख्यमंत्री डॉ. प्रेमचंद बैरवा से मुलाकात की. इस दौरान डिप्टी सीएम ने उन्हें बधाई और शुभकामनाएं दीं. उन्होंने अश्विनी की उपलब्धि की सराहना करते हुए कहा कि अंडर-17 की 65 किलो वर्ग में पांचों मुकाबलों में बिना एक भी अंक दिए स्वर्ण पदक जीतकर अश्विनी ने न केवल प्रदेश, बल्कि पूरे देश का मान बढ़ाया है. 

भीलवाड़ा की बेटी अश्विनी ने भीलवाड़ा का नाम रोशन किया

भीलवाड़ा को पहलवानों का गढ़ कहा जाता है, जहां के पहलवानों और खिलाड़ियों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले का नाम रोशन किया है. भीलवाड़ा शहर और जिले में कई ऐसे खिलाड़ी हैं जिन्होंने अपने जिले का नाम अलग-अलग खेल जगत में चमकाया है. कुश्ती की दृष्टि से भीलवाड़ा महिला पहलवानों की बदौलत और आगे बढ़ रहा है. इसी कड़ी में भीलवाड़ा की बेटी अश्विनी ने भीलवाड़ा का नाम रोशन किया है. अश्विनी ने अपनी उपलब्धियों से साबित किया है कि भीलवाड़ा की प्रतिभाएं किसी भी क्षेत्र में पीछे नहीं हैं और वे अपने जिले और देश का नाम गौरवान्वित कर रही हैं.


भीलवाड़ा की बेटी अश्विनी बिश्नोई ने राजस्थान के साथ देश का भी मान बढ़ाया है. उन्होंने अंडर-17 स्पर्धा में एथेंस, ग्रीस में चल रही वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक हासिल कर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है. अश्विनी ने 65 किलो भार वर्ग में कजाकिस्तान की ख्यातनाम पहलवान को मात देकर गोल्ड मेडल जीता है. भीलवाड़ा की इस महिला पहलवान बेटी ने जिले को कई अंतरराष्ट्रीय स्वर्ण पदक दिलाए हैं और अपनी उपलब्धियों से साबित किया है कि वह एक सच्ची प्रेरणा हैं.Success Story

भीलवाड़ा की दंगल गर्ल अश्विनी बिश्नोई का अंतरराष्ट्रीय करियर स्वर्णिम सफलता से भरा हुआ है. पिछले 3 साल में उन्होंने लगातार चार अंतरराष्ट्रीय टूर्नामेंट जीतकर एक नया कीर्तिमान बनाया है. चैंपियनशिप के खिताबी मुकाबले सहित शुरुआती 5 मुकाबलों में अश्विनी ने अपनी अद्वितीय कुश्ती कौशल का प्रदर्शन करते हुए किसी भी विपक्षी पहलवान को अपने खिलाफ एक अंक तक हासिल नहीं करने दिया. उनकी यह उपलब्धि उनकी मेहनत, लगन और कुश्ती के प्रति समर्पण को दर्शाती है.


अश्विनी बिश्नोई भीलवाड़ा शहर के प्रतापनगर थाना क्षेत्र की रहने वाली हैं और उनके पिता मुकेश बिश्नोई एक फैक्ट्री में मजदूरी का काम करते हैं. अश्विनी के परिवार में दो बेटियां और एक बेटा है. अश्विनी ने अपनी सफलता के लिए दिन-रात अखाड़े में कड़ी मेहनत की है, जिसमें उनके पिता का बहुत बड़ा योगदान है.Success Story


अश्विनी का कहना है कि वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने कोच, गुरु और माता-पिता को देना चाहती हैं, जिनकी प्रेरणा और समर्थन के कारण वह आज इस मुकाम पर पहुंच सकी हैं. अश्विनी की कहानी साबित करती है कि मेहनत और समर्पण से किसी भी लक्ष्य को हासिल किया जा सकता है.


अश्विनी बिश्नोई के पिता मुकेश कुमार बिश्नोई ने कहा कि उनका शुरू से ही सपना था कि उनकी बेटियां पहलवान बनें और देश का नाम ऊंचा करें. इसके लिए उन्होंने अश्विनी को बाल्यकाल से ही कुश्ती के लिए प्रेरित किया. अश्विनी ने पढ़ाई के साथ-साथ भीलवाड़ा शहर के निकट स्थित पुर कस्बे में संचालित शिव व्यायाम शाला में जगदीश विश्नोई की देखरेख और कोच कल्याण विश्नोई के मार्गदर्शन में कुश्ती की ट्रेनिंग ली. पिता की प्रेरणा और कोचों के निर्देशन में अश्विनी ने अपनी कुश्ती प्रतिभा को निखारा और आज देश का नाम रोशन कर रही हैं.Success Story