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जानिए कोन है राजस्थान का वह CM? जिसने जीता लगातार 10 बार चुनाव, क्या आप बता सकते हैं इनका नाम?

आजादी के बाद जब लोकतंत्र की शुरुआत हुई, तब हरिदेव जोशी कांग्रेस से जुड़े और 1950 में उन्हें प्रदेश महासचिव बनाया गया. 1952 में उन्होंने डूंगरपुर सीट से पहला विधानसभा चुनाव जीता. इसके बाद 1957 और 1962 में घाटोल सीट से लगातार विजयी रहे.
 

Rajasthan quiz : राजस्थान की राजनीति में कई नेताओं ने अपनी छाप छोड़ी है, लेकिन हरिदेव जोशी का नाम सबसे अलग और खास है. बांसवाड़ा के आदिवासी बहुल इलाके में 17 दिसंबर 1921 को जन्मे जोशी बचपन में ही एक बड़ी विपत्ति से गुज़रे. मात्र 10 साल की उम्र में उनका बांया हाथ टूट गया और इलाज के अभाव में हाथ काटना पड़ा. लेकिन इस कमी ने उन्हें कमजोर नहीं किया, बल्कि उनकी ज़िंदगी को और मजबूत बना दिया.


आजादी के बाद जब लोकतंत्र की शुरुआत हुई, तब हरिदेव जोशी कांग्रेस से जुड़े और 1950 में उन्हें प्रदेश महासचिव बनाया गया. 1952 में उन्होंने डूंगरपुर सीट से पहला विधानसभा चुनाव जीता. इसके बाद 1957 और 1962 में घाटोल सीट से लगातार विजयी रहे. साल 1965 में मोहनलाल सुखाड़िया की सरकार में पहली बार मंत्री बने और 1971 में बरकतुल्लाह खान की सरकार में वे सबसे वरिष्ठ मंत्री रहे.rajasthan quiz


उनका राजनीतिक सफर लंबा और शानदार रहा. 1967 से लेकर 1993 तक वे बांसवाड़ा से लगातार सात बार विधायक चुने गए. खास बात यह रही कि 1977 में जब पूरे देश में कांग्रेस विरोधी लहर थी, तब भी जोशी जनता का विश्वास जीतकर चुनाव जीते. उस समय उन्होंने गांव-गांव पैदल जाकर लोगों से संपर्क किया. कहते हैं कि कई बार पैरों में सूजन आ जाती थी, लेकिन वे डटे रहे. महिलाओं से लेकर युवाओं तक हर वर्ग ने उनका साथ दिया.rajasthan quiz

हरिदेव जोशी तीन बार राजस्थान के मुख्यमंत्री बने. वे प्रदेश के इकलौते ऐसे नेता रहे, जिन्होंने लगातार दस विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की. यह रिकॉर्ड आज तक कोई नहीं तोड़ पाया.


जोशी केवल अपने समर्थकों के ही नहीं, बल्कि विरोधियों के भी सम्मानित नेता रहे. उनकी और पूर्व मुख्यमंत्री भैरोसिंह शेखावत की मित्रता इसका उदाहरण थी. राजनीतिक मतभेदों के बावजूद दोनों नेताओं ने रिश्तों की मर्यादा निभाई. यहां तक कि जोशी के निधन पर सबसे पहले पहुंचने वालों में भैरोसिंह शेखावत थे.rajasthan quiz


हरिदेव जोशी का जीवन हमें सिखाता है कि असली ताकत शारीरिक क्षमता में नहीं, बल्कि जनता के भरोसे और अपने संकल्प में होती है. एक हाथ खोने के बावजूद उन्होंने जिस तरह से राजनीति में ऊंचाइयां हासिल कीं, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा है.