FASTag को कहिए टाटा, इस देश का टोल सिस्टम है सबसे हाईटेक, जानिए कैसे करता है काम
FASTag : केंद्र सरकार जल्द ही निजी वाहनों के लिए एक नई टोल प्रणाली शुरू करने जा रही है, जिसके तहत वाहन मालिकों को सालाना केवल 3,000 रुपये का भुगतान करना होगा। यह पास फास्टैग आधारित होगा और वाहन मालिकों को बार-बार भुगतान किए बिना वर्ष में 200 बार टोल प्लाजा से गुजरने में सक्षम बनाएगा। यह व्यवस्था 15 अगस्त, 2025 से लागू होगी और केवल गैर-वाणिज्यिक वाहनों के लिए मान्य होगी।
कोई और लाइनें नहीं, कोई और स्टॉप नहीं... दुनिया में आए बदलाव
जहां भारत अपनी टोल प्रणाली को आसान और किफायती बना रहा है, वहीं दुनिया के कई देश पहले ही प्रौद्योगिकी की मदद से टोल संग्रह को उच्च तकनीक बना चुके हैं। सबसे आगे नॉर्वे है, जहाँ टोल प्रणाली को दुनिया में सबसे तेज़ और सबसे परिष्कृत माना जाता है।FASTag
नॉर्वे की टोल प्रणालीः जीरो स्टॉप, पूर्ण प्रौद्योगिकी
नॉर्वे में कोई टोल प्लाजा नहीं है और वाहनों को रुकना नहीं पड़ता है। यहाँ स्वचालित नंबर प्लेट पहचानने की तकनीक का उपयोग किया जाता है। जैसे ही कोई वाहन कैमरे की निगरानी से गुजरता है, सिस्टम नंबर प्लेट को पढ़ता है और वाहन के मालिक के खाते से निश्चित राशि काट ली जाती है। इस प्रणाली को "ऑटोपास" कहा जाता है और इसे 1991 में शुरू किया गया था।FASTag
सिंगापुर, जापान और स्विट्जरलैंड में स्थिति कैसी है?
सिंगापुर में भी नॉर्वे की तरह एक कैमरा और संवेदक-आधारित टोल संग्रह प्रणाली है।
जापान में टोल प्रणाली तकनीकी रूप से उन्नत है, लेकिन गति सीमा जैसे प्रतिबंध हैं।
स्विट्जरलैंड में वार्षिक शुल्क लेने की एक प्रणाली है, एक बार भुगतान करने के बाद, पूरे वर्ष के लिए टोल-फ्री यात्रा उपलब्ध है।
हालाँकि, तकनीकी रूप से यह नॉर्वे जितना उन्नत नहीं है।FASTag
भारत का नया मॉडल कितना प्रभावी होगा?
सरकार का दावा है कि यह नई प्रणाली यात्रियों को वित्तीय राहत प्रदान करेगी और बार-बार रुकने की परेशानी से छुटकारा दिलाएगी। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वर्तमान में, औसतन, एक निजी वाहन मालिक पूरे वर्ष 10,000 रुपये तक का टोल देता है। लेकिन नया पास केवल ₹3,000 में उपलब्ध होगा, जिससे सीधे लोगों की बचत होगी।FASTag
भारत की प्रौद्योगिकी की दिशा में एक कदम
भारत में टोल प्रणाली में इस बड़े बदलाव को डिजिटल इंडिया की दिशा में एक और कदम माना जा सकता है। यदि यह योजना सफल होती है तो आने वाले वर्षों में भारत नॉर्वे जैसे देशों की तरह तेज और स्मार्ट टोल नेटवर्क की ओर भी बढ़ सकता है।FASTag