Swastik Sign: स्वस्तिक बनाते समय न करें ये आम गलतियां, वरना हो सकता है अशुभ प्रभाव
Swastik Sign नई दिल्ली। ऐसा माना जाता है कि अगर किसी शुभ या शुभ कार्य से पहले स्वस्तिक बनाया जाता है, तो यह घर में खुशी और समृद्धि लाता है। लेकिन अगर स्वास्तिक को गलत तरीके से बनाया जाता है, तो आप विपरीत परिणाम भी देख सकते हैं। आइए जानते हैं स्वस्तिक बनाने का सही तरीका।
स्वस्तिक का महत्व
स्वस्तिक को चार दिशाओं और चार वेदों के प्रतीक के रूप में देखा जाता है। इसके साथ-साथ, स्वस्तिक को मंगल और कल्याण चिन्ह के रूप में भी देखा जाता है। ऐसे में अगर यह प्रतीक धार्मिक कार्यों के दौरान बनाया जाता है, तो यह सभी कार्यों को साबित करता है। यही कारण है कि स्वस्तिक (धार्मिक प्रतीक मार्गदर्शक) को समृद्धि, सौभाग्य और शांति का प्रतीक भी माना जाता है।Swastik Sign
स्वस्तिक बनाने का सही तरीका
पहले स्वस्तिक का दाहिना भाग बनाएँ और फिर बायां भाग बनाएँ। आपको दो पंक्तियों के बजाय चार पंक्तियों का उपयोग करके स्वस्तिक बनाना चाहिए। इसके लिए सबसे पहले ऊपर से नीचे तक एक रेखा बनाएँ और फिर उस रेखा के अंत में दाएँ से बाएँ की ओर एक रेखा बनाएँ। इसके बाद नीचे से ऊपर की ओर जाने वाली एक रेखा बनाएँ और अंत में बाएं से दाएं की ओर जाने वाली एक और रेखा बनाएँ।Swastik Sign
कौन सी दिशा सही है?
वास्तु शास्त्र में, उत्तर-पूर्व कोण को स्वस्तिक बनाने के लिए सबसे अच्छा माना जाता है। इसके साथ ही आप घर की उत्तर दिशा में स्वस्तिक भी बना सकते हैं। पूजा स्थल और मुख्य द्वार पर भी स्वस्तिक चिह्न बनाना शुभ माना जाता है। ऐसा करने से घर में सुख और समृद्धि बनी रहती है।Swastik Sign
इन बातों का रखें ध्यान
स्वस्तिक बनाने के लिए चंदन, कुमकुम या सिंदूर का उपयोग करना बेहतर होता है। स्वास्तिकों को कभी भी उल्टा नहीं किया जाना चाहिए। अन्यथा आपको परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। इसके साथ-साथ स्वस्तिक बनाते समय ध्यान रखें कि इसे बनाते समय दो रेखाएं एक-दूसरे को नहीं काटती हैं। ऊपर वर्णित तरीके से ही स्वस्तिक बनाएँ।Swastik Sign
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