इस मामले की शुरुआत करीब 11 वर्ष पूर्व हुई थी, जब रतनी देवी ने अपनी दो दुकानों के किरायेदार उषा पत्नी गोपीकिशन (निवासी पारीक चौक, बीकानेर) और नारायण पुत्र बृजमोहन (निवासी आसानियों का चौक, बीकानेर) के विरुद्ध किराया अधिकरण, बीकानेर में आवेदन प्रस्तुत किया था। उन्होंने न्यायालय से अनुरोध किया कि किरायेदार कई वर्षों से दुकान खाली नहीं कर रहे हैं, अतः उन्हें बेदखल किया जाए।
न्यायालय के फैसले से लेकर बेदखली तक की कार्यवाही:
दिनांक 12 अप्रैल 2019 को माननीय किराया अधिकरण, बीकानेर ने रतनी देवी के पक्ष में फैसला सुनाते हुए दोनों दुकानों के संबंध में डिक्री पारित की। इसके विरुद्ध दोनों किरायेदारों ने अपील दायर की, लेकिन अपील किराया अधिकरण, बीकानेर ने भी मूल निर्णय को बरकरार रखा।
इसके बाद दुकान मालकिन रतनी देवी ने न्यायालय में बेदखली की कार्यवाही प्रारंभ की। पीठासीन अधिकारी श्री शाजिद हुसैन छींपा ने 20 सितंबर 2025 को आदेश जारी करते हुए पुलिस इमदाद के साथ बेदखली वारंट जारी किया, जिसके तहत दुकानों का कब्जा दिलवाने की प्रक्रिया शुरू की गई।
गुरुवार को न्यायालय के आदेश के अनुपालन में सैल आमिन श्री सत्यनारायण शर्मा, कोटगेट थाना पुलिस अधिकारीगण एवं प्रशासनिक टीम की उपस्थिति में मौके पर कार्यवाही की गई। दोनों दुकानों को विधिसम्मत तरीके से खाली करवाकर उनका भौतिक कब्जा दुकान मालकिन रतनी देवी को सुपुर्द किया गया।
कानूनी पक्ष की पैरवी वरिष्ठ अधिवक्ता अजय कुमार पुरोहित द्वारा की गई।
इस लंबे समय से चले आ रहे विवाद के समाधान के बाद दुकान मालकिन रतनी देवी ने न्यायालय और प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि “न्याय में देर भले हो, लेकिन न्याय अवश्य मिलता है।”