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राजस्थान में गणगौर पर सांस्कृतिक विरासत की झलक, इस गांव में 300 साल से रिख्य से बनाई जाती है पिंडोली

 
राजस्थान में गणगौर पर सांस्कृतिक विरासत की झलक, इस गांव में 300 साल से रिख्य से बनाई जाती है पिंडोली

Rajasthan News : राजस्थान देश का ऐसा राज्य है जहाँ जो देश की सबसे ज्यादा संस्कृति की झलक देखने को मिलती है। ऐसी ही एक झलक आज बीकानेर में गणगौर उत्स्व में देखने को मिली।

अधिक जानकारी के लिए बता दे की बीकानेर के ब्राह्मण स्वर्णकार समाज में धूमधाम से मनाया जा रहा है. 300 साल से भी ज्यादा पुराने इस त्योहार की तैयारियां जोरों पर हैं. rajasthan News

गणगौर का महत्व rajasthan News

ब्राह्मण स्वर्णकार समुदाय का गणगौर उत्सव होलिका दहन के बाद शुरू होता है, जब समुदाय के लोग मिलकर रिख्या से पिंडोली तैयार करते है. यह परंपरा इस समुदाय में पीढ़ियों से चली आ रही है और समुदाय के हर घर में गणगौर माता की पिंडोली स्थापित की जाती है.

rajasthan News जिस घर में गवर माता की स्थापना होती है, वहां महिलाएं और लड़कियां सुबह-शाम भक्ति भाव से आरती उतारती हैं. रंगोली सजाकर अपनी भावनाएं प्रकट करती हैं, जिससे पूरा माहौल भक्ति और उल्लास से भर जाता है.समुदाय की भाषा में इन्हें तीजणियां कहा जाता है.

चैत्र माह की तीज पर लाभार्थी परिवार पूरे समुदाय में मेंहदी बांटता है और उन्हें बड़े हर्षोल्लास के साथ उत्सव में भाग लेने के लिए आमंत्रित करता है. तीज के दिन समुदाय की सभी महिलाएं एक साथ गणगौर माता की मूर्ति को टिकला रोटी चढ़ाने जाती हैं. यह अनूठी परंपरा आस्था और समर्पण का प्रतीक है.

rajasthan News चौथ के दिन समाज की महिलाएं गवर माता की सवारी को सिर पर उठाकर पूरे समाज में घुमाती हैं. हर घर में माता का खोल भरने की रस्म होती है, जिसके माध्यम से समाज की खुशहाली व समृद्धि की कामना की जाती .

राजस्थान में गणगौर त्यौहार का बड़ा महत्व

गणगौर हिंदू कैलेंडर के पहले महीने चैत्र (मार्च-अप्रैल) के महीने में मनाया जाता है. गणगौर राजस्थान के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है.

इसे पूरे राजस्थान में किसी न किसी रूप में मनाया जाता है. "गण" भगवान शिव का पर्याय है और "गौरी" या "गौरा" भगवान शिव की स्वर्गीय पत्नी देवी पार्वती का प्रतीक है.rajasthan News