कीर्तिशेष भवानी शंकर व्यास ‘विनोद’ को प्रबुद्ध जनों ने श्रद्धांजलि और पुष्पांजलि अर्पित की। स्व: भवानी शंकर व्यास शब्दऋषि एवं प्रेरणा पुंज थे-डॉ. बी.डी. कल्ला
श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट के अध्यक्ष विद्यासागर आचार्य एवं मंत्री डॉ. गिरिजा शंकर शर्मा ने बताया कि स्व. व्यास की स्मृति में आयोजित इस श्रद्धांजलि-पुष्पांजलि कार्यक्रम में नगर के अनेक क्षेत्रों के प्रबुद्धजनों ने उन्हें अपनी आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
पाठक मंच के कमल रंगा एवं कासिम बीकानेरी ने बताया कि उक्त स्मृति सभा में राजस्थान सरकार के पूर्व मंत्री डॉ. बुलाकी दास कल्ला ने अपने उद्गार व्यक्त करते हुए कहा कि वे असल में शब्दऋषि एवं प्रेरणापुंज थे, वे सादा जीवन उच्च विचार वाले अनुशासित व्यक्ति थे, जो हर पल सृजन करते रहते थे। कल्ला ने अपनी बात को आगे बढ़ाते हुए कहा कि उनके कार्य, उनकी सेवा और उनका आशीर्वाद हमेशा हमारे साथ रहेंगे।
श्री जुबिली नागरी भण्डार ट्रस्ट के व्यवस्थापक नंदकिशोर सोलंकी ने स्वर्गीय व्यास को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि वे बीकानेर की साहित्यिक परंपरा को समृद्ध करने वाले एक ऐसे रचनाकार थे जिन्होंने नए साहित्यकारों को तराशने का काम किया।
नगर के वरिष्ठ कवि-कथाकार कमल रंगा ने उन्हें अपनी शाब्दिक श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि वे बेहतरीन साहित्यकार-नेक इंसान के साथ-साथ सकारात्मक सोच वाले साहित्यकार थे। उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशित होना चाहिए। वे पिछले कुछ वर्षों से बीकानेर के बाहर रहने लगे थे, लेकिन उनका मन हमेशा बीकानेर में रहता था।
वरिष्ठ व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि उन्होंने सैकड़ो लेखकों की पुस्तकों पर भूमिकाएंँ लिखी व अनेकों पुस्तकों की समीक्षाएं भी लिखीं।
प्राच्य विद्या प्रतिष्ठान के डॉ. नितिन गोयल ने कहा कि उन्होंने जागती जोत पत्रिका को डिजिटलाइजेशन करने की सलाह दी। वे संकटमोचक थे। संस्कृतिकर्मी अविनाश व्यास ने कहा कि वे एक चलती-फिरती पाठशाला थे, और अपनत्व भाव की मूर्ति थे।
इसी क्रम में साहित्यकार इन्द्रा व्यास एवं आशा शर्मा ने उन्हें साहित्यिक पुरोधा बताते हुए नगर का गौरव बताया। शायर इरशाद अजीज ने कहा कि वे हर रचनाकार की हौसला अफजाई करते थे। स्वर्गीय व्यास के भतीजे प्रेम नारायण व्यास ने कहा कि वह इन दिनों अपनी आत्मकथा लिख रहे थे। संस्कृतिकर्मी डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान ने कहा कि वे प्रखर बुद्धि वाले इंसान, व्यंग्य विधा में पारंगत थे।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम में श्रीमती मधुरिमा सिंह, गिरिराज पारीक, घनश्याम सिंह, एडवोकेट गंगा विशन बिश्नोई, महेंद्र कुमार जोशी, कैलाश नाथ सुथार, गोपाल व्यास ‘कुंठित’, एन.के.आचार्य, सरदार भाई कोचर, रामेश्वर सोनी, मोहनलाल जांगिड़, इंजीनियर आशा शर्मा, श्रीमती इंद्रा व्यास, किशन व्यास, हरि कृष्ण व्यास, मदन जैरी, अविनाश चन्द्र व्यास, अब्दुल शकूर बीकाणवी, राजाराम स्वर्णकार, श्याम सुंदर हाटीला, शिवनाम सिंह, शिव कुमार वर्मा, जुगल पुरोहित, शिव प्रकाश शर्मा, शकील गौरी, श्रीमती यामिनी जोशी, पृथ्वीराज रतनू, गोपाल गौतम, छगन सिंह, चेतन व्यास, राजेश बिश्नोई, गिरधर जोशी, रामेश्वर साधक, रंगकमी बी.एल. नवीन एवं कासिम बीकानेरी सहित अनेक प्रबुद्धजनों ने उन्हें अपनी आत्मिक श्रद्धांजलि अर्पित की।
श्रद्धांजलि कार्यक्रम का संचालन कवि गिरिराज पारीक ने किया।

