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प्रदेश की सांस्कृतिक नीति बने-लोक साहित्य अकादमी का गठन हो-कमल रंगा

 
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THE BIKANER NEWS:- बीकानेर, 5 जून 2025,राजस्थानी युवा लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने  प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कला एवं साहित्य मंत्री से अनुरोध करते हुए पुनः मांग की है कि प्रदेश की सांस्कृतिक नीति बनाई जाए ताकि प्रदेश की संस्कृति और उससे जुड़े हुए अन्य कलानुशासनों को संबल मिले। इसी तरह प्रदेश के विपुल लोक साहित्य एवं लोक कलाओं को उचित संरक्षण मिल सके। जिसके लिए स्वतंत्र लोक साहित्य अकादमी का गठन हो।

रंगा ने प्रदेश की सांस्कृतिक नीति के महत्व को बताते हुए कहा कि सांस्कृतिक नीति का उद्देश्य प्रदेश के नागरिकों में कला और रचनात्मक गतिविधियों में जुडाव में वृद्धि करना और प्रदेश के सभी लोगों की कलात्मक, संगीतमय, जातीय, सामाजिक-भाषायी साहित्यिक और अन्य अभिव्यक्तियों को बढावा देना होता है, एवं जिससे सांस्कृतिक लोकतंत्रीयकरण को भी बढावा मिलना सुनिश्चित होगा। 

रंगा ने इस मंाग के साथ-साथ यह मांग भी उठाई है कि राजस्थान का लोक साहित्य काफी समृद्ध है, और वो हमारे प्रदेश की धरोहर है। ऐसे में लोक साहित्य उन संस्कृतियों को प्रसारित करता है जिनकी कोई लिखित भाषा नहीं है, मौखिक रूप से प्रसारित और लिखित साहित्य की तरह इसमें गद्य और पद्य दोनों तरह की रचनाओं का अखूट भंडार है, अकादमी गठन से इन्हें संबल मिलेगा। वर्तमान मंे लोक साहित्य के पूर्णतः संरक्षण, संवर्द्धन आदि के लिए कोई ऐसी ठोस नीति नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश में लोक-साहित्य अकादमी का स्वतंत्र गठन शीघ्र हो, ताकि प्रदेश की लोक संपदा को बचाया जा सके।

 

बीकानेर, 5 जून 2025

राजस्थानी युवा लेखक संघ के प्रदेशाध्यक्ष एवं वरिष्ठ साहित्यकार कमल रंगा ने  प्रदेश के मुख्यमंत्री एवं कला एवं साहित्य मंत्री से अनुरोध करते हुए पुनः मांग की है कि प्रदेश की सांस्कृतिक नीति बनाई जाए ताकि प्रदेश की संस्कृति और उससे जुड़े हुए अन्य कलानुशासनों को संबल मिले। इसी तरह प्रदेश के विपुल लोक साहित्य एवं लोक कलाओं को उचित संरक्षण मिल सके। जिसके लिए स्वतंत्र लोक साहित्य अकादमी का गठन हो।

रंगा ने प्रदेश की सांस्कृतिक नीति के महत्व को बताते हुए कहा कि सांस्कृतिक नीति का उद्देश्य प्रदेश के नागरिकों में कला और रचनात्मक गतिविधियों में जुडाव में वृद्धि करना और प्रदेश के सभी लोगों की कलात्मक, संगीतमय, जातीय, सामाजिक-भाषायी साहित्यिक और अन्य अभिव्यक्तियों को बढावा देना होता है, एवं जिससे सांस्कृतिक लोकतंत्रीयकरण को भी बढावा मिलना सुनिश्चित होगा। 

रंगा ने इस मंाग के साथ-साथ यह मांग भी उठाई है कि राजस्थान का लोक साहित्य काफी समृद्ध है, और वो हमारे प्रदेश की धरोहर है। ऐसे में लोक साहित्य उन संस्कृतियों को प्रसारित करता है जिनकी कोई लिखित भाषा नहीं है, मौखिक रूप से प्रसारित और लिखित साहित्य की तरह इसमें गद्य और पद्य दोनों तरह की रचनाओं का अखूट भंडार है, अकादमी गठन से इन्हें संबल मिलेगा। वर्तमान मंे लोक साहित्य के पूर्णतः संरक्षण, संवर्द्धन आदि के लिए कोई ऐसी ठोस नीति नहीं हैं। ऐसे में प्रदेश में लोक-साहित्य अकादमी का स्वतंत्र गठन शीघ्र हो, ताकि प्रदेश की लोक संपदा को बचाया जा सके।