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Rajasthan : बीकानेर की 193 करोड़ की डीपीआर में 85 करोड़ जुटे, शहर को कब मिलेगी जलभराव से निजात?

सरकार की ओर से बजट भाषण में बीकानेर की ड्रेनेज के लिए 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था मगर वित्त विभाग ने उस पर कैंची चलाते हुए 59 करोड़ रुपए ही दिए। उस वक्त कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने पूरे शहर के जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए डीपीआर तैयार कराई।
 
बीडीए बनने से पहले तत्कालीन यूआईटी ने म्यूजियम सर्किल से हल्दीराम प्याऊ तक सिक्स लेन कराया। टेंडर में जो शर्तें थी उसमें से आधी से ज्यादा शर्तें बाकी हैं।

The Bikaner News : बारिश के समय में शहर के दर्जनों इलाकों में जलभराव होता है। इन जलभराव की स्थिति से छुटकारा पाने के लिए अब भी 108 करोड़ की जरूरत होगी। अगर शहर के विधायक ताकत लगाएं तो आने वाले समय में सरकार से इस राशि का इंतजाम हो सकता है। जानकारी के लिए बता दे की 193 करोड़ की डीपीआर है जिसमें से 85 करोड़ का इंतजाम हो गया।

वित्त विभाग ने फेरा था बीकानेर की आस पर पानी 

जानकारी के लिए बता दे की सरकार की ओर से बजट भाषण में बीकानेर की ड्रेनेज के लिए 100 करोड़ रुपए देने का ऐलान किया था मगर वित्त विभाग ने उस पर कैंची चलाते हुए 59 करोड़ रुपए ही दिए। उस वक्त कलेक्टर नम्रता वृष्णि ने पूरे शहर के जलभराव की समस्या को दूर करने के लिए डीपीआर तैयार कराई।

डीपीआर के अनुसार खर्च होगा डबल 

अधिक जानकारी के लिए बता दे की डीपीआर के अनुसार खर्चा करीब 193 करोड़ और 29 करोड़ रुपए ड्रेनेज की कुछ सालों की देखरेख के लिए तय किया गया। यानी करीब 222 करोड़ की डीपीआर बनी। इस 193 करोड़ में से 59 करोड़ सरकार से आ गए जिसके टेंडर भी हो गए। वित्त विभाग की स्वीकृति के बाद उसका वर्कआर्डर भी हो जाएगा।

कलेक्टर ने डीएमएफटी फंड किया मंजूर 

जानकारी के अनुसार बता दे की फिलहाल 15 करोड़ के काम बीडीए करा रहा है। हालांकि निगम ने 35 करोड़ रुपए का एक और प्रस्ताव तैयार किया है जो अगर सरकार से मंजूर हो गया तो भी करीब 73 करोड़ की जरूरत होगी। इसके लिए दोनों विधायकों को सरकार से विशेष पैकेज दिलाने होंगे तभी बीकानेर शहर की जनता ड्रेनेज समस्या से निजात पा सकेगी

अब कलेक्टर ने भी 10.50 करोड़ रुपए डीएमएफटी फंड से मंजूर कर दिए हैं। ये मिलाकर करीब 84.50 करोड़ रुपए हो गए। 193 में फिर भी 108 करोड़ रुपए और चाहिए।

 
फिलहाल शहर में आलम यह है की शहर की 90 प्रतिशत सड़कों के किनारे पानी निकलने के लिए नालिया नहीं हैं। सड़क से बहते हुए पानी सीधे नालों में जाता है। बगैर नाली के पानी या जलभराव जैसी समस्याओं का सामना आमजन को करना पड़ता है। बीडीए बनने से पहले तत्कालीन यूआईटी ने म्यूजियम सर्किल से हल्दीराम प्याऊ तक सिक्स लेन कराया। टेंडर में जो शर्तें थी उसमें से आधी से ज्यादा शर्तें बाकी हैं।