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Mandi Taza Bhav: जीरे की थोक कीमतों में छाएंगी मंदी, चीन खरीद में नहीं दिखा रहा रूचि

 
Mandi Taza Bhav

Mandi Taza Bhav : चीन की खरीद के अभाव में ऊंझा में जीरे की थोक कीमत में मंदी का सिलसिला जारी है। व्यापारिक सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने आगे बताया कि करीब एक महीने बाद नई फसल शुरू होने तथा मानसून सीजन की वजह से अब चीन के भारतीय बाजार में प्रवेश करने की उम्मीद भी नहीं दिख रही है। आने वाले समय में भी जीरे की थोक कीमत में रुक-रुककर मंदी आने की आशंका व्यक्त की जा रही है।

स्थानीय थोक किराना बाजार में स्टॉकिस्टों की लिवाली कमजोर ही बनी होने से जीरा सामान्य तथा मशीन क्लीन 500-600 रुपए मंदा होकर क्रमशः 21,500/22,200 रुपए और 22,500/23,700 रुपए प्रति क्विंटल रह गया। एक दिन पूर्व भी इनमें 200 रुपए की मंदी आई थी। व्यापारियों का कहना है कि दिसावरी मांग कमजोर बनी होने तथा ऊंझा से मंदी के समाचार आते रहने से बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है। Mandi Taza Bhav

ऊंझा मंड़ी में जीरे की करीब 10-12 हजार बोरियों की आवक होने की जानकारी मिली। आवक सामान्य से नीची होने के बाद भी लिवाली कमजोर ही बनी होने से वहां इस प्रमुख किराना जिंस में 100 रु प्रति 20 किलोग्राम की मंदी आने की जानकारी मिली। इसी के साथ जीएल गुलाब जीरा 4000/4020 रु और गणेश जीरा 4025/ 4050 रु प्रति 20 किलोग्राम रह गया। Mandi Taza Bhav

ऊंझा मंड़ी स्थित व्यापारी जतिन पटेल ने कहा कि व्यापारियों के सामने फिलहाल जीरे की मंदी का सवाल मुंह बाए खड़ा है। उनके लिए यह लाख टके का सवाल है। सब व्यापारी जानना चाहते हैं कि जीरे की मंदी कब रुकेगी? उन्होंने बताया कि यद्यपि जीरे में पिछले लंबे समय से रुक-रुककर मंदी का रुख बना हुआ है और अभी तक इसकी कीमत काफी मंदी हो चुकी है लेकिन वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुए ऐसा नहीं लगता है कि फिलहाल यह मंदी अभी रुकने वाली है।

Mandi Taza Bhav :उन्होंने इसका प्रमुख कारण यह बताया कि करीब एक महीने बाद अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीरे की आपूर्ति बढ़ने वाली है। तुर्की, सीरिया के साथ-साथ चीन में भी नई फसल आनी है। उन्होंने यह भी बताया कि जुलाई में चीन में नए जीरा शुरू होने वाला है। हालांकि वहां से कोई भी

सही-सही जानकारी निकालना काफी मुश्किल होता है, लेकिन अभी तक प्राप्त हो रही सूचनाओं पर यदि विश्वास किया जाए तो चीन में इस बार जीरे के उत्पादन में थोड़ी कमी आ सकती है।

श्री पटेल ने बताया कि चीन से छन-छनकर आ रही रिपोर्ट्स के अनुसार वहां इस बार जीरे के उत्पादन में थोड़ी कमी आ सकती है। हालांकि चीन ने पिछले वर्ष ही भारत से जीरे की काफी खरीद कर ली थी। इसीलिए इस बार अभी तक घरेलू बाजारों में में चीन की खरीद का अभाव बना हुआ है।Mandi Taza Bhav

 इतना ही नहीं, फसल का आकार चाहे जो भी हो, लेकिन आने वाले जुलाई महीने में उसकी नई फसल भी शुरू होने वाली है। इधर, देश में मानसून सीजन भी शुरू हो चुका है। मानसून सीजन के दौरान आमतौर पर जीरे समेत अन्य जिंसों का निर्यात भी सुस्त पड़ जाता है। अतः अभी चीन की खरीद निकलने की उम्मीद नहीं है। गुजरात के कई क्षेत्रों में भी हल्की-फुल्की वर्षा हो रही है। इसकी वजह से भी बाजार की धारणा प्रभावित हो रही है।Mandi Taza Bhav

उधर, मसाला बोर्ड के उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 के आरंभिक 11 महीनों यानी अप्रैल-फरवरी अवधि में देश से कुल 5734.36 करोड़ रुपए मूल्य की 2,11,143.75 टन जीरे का निर्यात हुआ है।

इससे पूर्व वर्ष की आलोच्य अवधि में इसकी 1,32,019.05 टन मात्रा का निर्यात हुआ था और इससे 4885.80 करोड़ रुपए की आय हुई थी। इससे पता चलता है कि इस बार जीरे के मात्रात्मक निर्यात में 60 प्रतिशत और आय में 12 प्रतिशत का उछाल आया है।

व्यापारियों का मानना है कि चूंकि जीरे की थोक कीमत काफी नीची हो चुकी है, इसलिए आने वाले समय में इसमें या तो स्थिरता बन सकती है या फिर रुक-रुककर मंदी आने की आशंका भी है। अतः व्यापारियों को इस प्रमुख किराना जिंस का व्यापार काफी सोच-विचार करके ही करना चाहिए।Mandi Taza Bhav