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 "कलियुग में गणपति" 
मोबाइल की दुनिया, इंस्टा का राज,
भक्ति भी अब हो रही, रील्स के अंदाज़:-निशा माहेश्वरी

 
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THE BIKANER NEWS:-कलियुग में गणेश चतुर्थी का महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। यह पर्व न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि सामाजिक एकता, पर्यावरण जागरूकता और आध्यात्मिक उत्थान का माध्यम भी बन चुका है। भगवान गणेश को विघ्नहर्ता और बुद्धि का देवता माना जाता है, और कलियुग की चुनौतियों में उनका स्मरण मन को शांति और विवेक प्रदान करता है। आज के समय में जब जीवन भागदौड़ और तनाव से भरा है, तब गणेश जी की पूजा आंतरिक शक्ति और आत्मबल देने का कार्य करती है। पहले यह उत्सव घरों तक सीमित था, लेकिन अब यह समाज के हर वर्ग को जोड़ता है। लोकमान्य तिलक द्वारा इसे सार्वजनिक उत्सव का रूप देकर सामाजिक एकता का प्रतीक बनाया गया। डिजिटल युग में लोग ऑनलाइन दर्शन और पूजा के माध्यम से भी इससे जुड़े रहते हैं। साथ ही, पर्यावरण संरक्षण को ध्यान में रखते हुए इको-फ्रेंडली मूर्तियों का चलन बढ़ा है। इस पर्व में भक्तिपूर्वक गणेश जी का आवाहन, स्थापना, आरती और विसर्जन जीवन को नई दिशा देने का कार्य करते हैं। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय, अहंकार पर विनम्रता की जीत और अंधकार से प्रकाश की ओर बढ़ने का प्रतीक है। बच्चों से लेकर बुज़ुर्गों तक, हर कोई इसमें शामिल होता है। कला, संगीत और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के माध्यम से यह उत्सव समाज को जीवंत बनाता है। गणेश चतुर्थी आत्मनिरीक्षण और पुनर्जागरण का अवसर है। कलियुग में जब धर्म और मूल्य पीछे छूटते जा रहे हैं, तब गणपति बप्पा की आराधना मनुष्य को पुनः सद्‍मार्ग की ओर ले जाती है। वास्तव में, यह पर्व केवल एक पूजा नहीं, बल्कि आत्मा की पुनः जागृति है। गणपति बप्पा मोरया!
             Nisha Maheshwari

 "कलियुग में गणपति" 
मोबाइल की दुनिया, इंस्टा का राज,
भक्ति भी अब हो रही, रील्स के अंदाज़।
पर दिल में अब भी वही आस पुरानी है,
बप्पा तू ही तो हमारी आख़िरी कहानी है।

काम की दौड़, तनाव हज़ार,
मनुष्य बना जैसे मशीन का अवतार।
बैंक बैलेंस है, पर चैन नहीं,
इस कलियुग में बप्पा, कोई अपना भी तो  नहीं।

ना साफ़ नीयत, ना सच्चा व्यवहार,
हर रिश्ता अब करता है व्यापार।
पर जब भी नाम तेरा लेते हैं हम,
कुछ देर को ही सही, सुकून मिल जाता है कम।

बप्पा! अब तू ही आ, सिस्टम को रीसेट कर,
झूठ को मिटा, थोड़ा सच अपलोड कर।
लोगों के दिलों में फिर से विश्वास भर,
इस अधूरे समय को फिर से रोशन कर।
तू दे वो बुद्धि जो छल से दूर हो,
जो हर मज़हब से पहले इंसानियत को मंज़ूर हो।
तेरे चरणों में अब भी आस बसी है,
कलियुग में भी बप्पा, तेरी ही सत्ता रही है।
गणपति बप्पा मोरया!
कलियुग को भी तू ही संवार दे दोबारा!
                                  Nisha Baldwa