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Hydro Project: मोदी सरकार का सिंधु जल संधि पर बड़ा फैसला, केंद्रीय मंत्री ने बताई नई रणनीति

Hydro Project : जम्मू और कश्मीर पनबिजली परियोजनाः जम्मू और कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष डिजाइन और तकनीकी योजनाएं तैयार की जाएंगी।
 
 
Hydro Project

Hydro Project : भारत सरकार सिंधु जल संधि के तहत अपने जल संसाधनों का अधिकतम उपयोग करने के लिए एक रणनीतिक और दीर्घकालिक योजना पर काम कर रही है। इस योजना के तहत जम्मू-कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। मंगलवार को इसकी घोषणा करते हुए केंद्रीय ऊर्जा मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि यह कदम देश की ऊर्जा सुरक्षा को मजबूत करने और जल प्रबंधन में सुधार की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है।


 


योजना का विवरण
 


हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने के लिए विशेष डिजाइन और तकनीकी योजनाएं तैयार की जाएंगी। इससे सिंधु जल संधि के तहत भारत को उपलब्ध जल संसाधनों का इष्टतम और प्रभावी उपयोग सुनिश्चित होगा। खट्टर ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन परियोजनाओं के तकनीकी विवरण को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है और जो वर्तमान में पाइपलाइन में हैं, उनमें कोई बदलाव नहीं किया जाएगा। इसका कारण यह है कि इन परियोजनाओं के डिजाइन और तकनीकी प्रक्रियाओं को पहले ही अंतिम रूप दे दिया गया है, और उनमें बदलाव करना समय और संसाधनों की बर्बादी हो सकती है।



भारत की रणनीति



1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हस्ताक्षरित सिंधु जल संधि के तहत, सिंधु नदी प्रणाली की छह नदियों के पानी को साझा किया गया है। संधि के अनुसार, सतलुज, ब्यास और रावी के पानी पर भारत का पूरा अधिकार है, जबकि सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी पर पाकिस्तान का पूरा अधिकार है। हालाँकि, भारत को इन तीन नदियों के पानी के सीमित उपयोग की अनुमति है, जैसे कि पनबिजली उत्पादन और सिंचाई के लिए।


पनबिजली परियोजनाएं नई रणनीति का हिस्सा



हाल के वर्षों में, भारत ने इस संधि के तहत अपने अधिकारों का अधिक प्रभावी ढंग से प्रयोग करने की दिशा में कदम उठाए हैं। जम्मू-कश्मीर में पनबिजली परियोजनाओं में जल भंडारण क्षमता बढ़ाने की यह नई योजना भी इसी रणनीति का हिस्सा है। इससे न केवल पनबिजली उत्पादन में वृद्धि होगी बल्कि बाढ़ नियंत्रण, सिंचाई और पेयजल आपूर्ति जैसे क्षेत्रों में बेहतर प्रबंधन भी संभव होगा।



जम्मू और कश्मीर का महत्व



अपनी भौगोलिक स्थिति और नदी प्रणालियों की उपलब्धता के कारण जम्मू और कश्मीर पनबिजली परियोजनाओं के लिए एक आदर्श क्षेत्र है। इस क्षेत्र में पनबिजली परियोजनाएं न केवल ऊर्जा उत्पादन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी गति प्रदान करती हैं। जल भंडारण क्षमता बढ़ाने से इन परियोजनाओं की दक्षता में सुधार होगा और इस क्षेत्र में ऊर्जा की मांग को पूरा करने में मदद मिलेगी। साथ ही यह योजना बरसात के मौसम में बाढ़ के खतरे को कम करने और सूखे की स्थिति में पानी की उपलब्धता सुनिश्चित करने में भी सहायक होगी।
 


भविष्य और चुनौतियां



हालांकि यह योजना भारत के लिए रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण है, लेकिन इसके सामने कुछ चुनौतियां भी हैं। इनमें पर्यावरणीय प्रभाव, स्थानीय समुदायों का समर्थन और तकनीकी जटिलताएं शामिल हैं। इसके अलावा, सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान के साथ संतुलन बनाए रखना भी एक संवेदनशील मुद्दा है।
केंद्र सरकार ने आश्वासन दिया है कि सभी नई परियोजनाओं को पर्यावरण और सामाजिक मानकों के अनुसार तैयार किया जाएगा। साथ ही, इन परियोजनाओं को समयबद्ध तरीके से पूरा करने के लिए संसाधनों का प्रभावी उपयोग किया जाएगा।