Mandi Bhav : गेहूं के भाव में अभी रहेगी सुस्ती, बारीक चावल देगा मुनाफा
अब यहां गेहूं मिल क्वालिटी 2750/2760 रुपए प्रति कुंतल भाव दोबारा बोल रहे है जबकि मंडियों में लिवाली अनुकूल नहीं है। अतः बाजार अभी सुस्त ही रहेगा। भारत-पाकिस्तान तनाव का गेहूं पर पिछले दिनों तेजी के रूप में प्रभाव पड़ा था। अतः अब वर्तमान भाव में भी एक बार बिक्री करते रहना चाहिए।
बारीक चावल में आगे और लाभ मिलेगा
पाकिस्तान से तनाव पहले की अपेक्षा कम की स्थिति में निर्यातक माल लेने रुचि ले रहे हैं, क्योंकि शिपमेंट एवं समुद्री मार्ग से माल जाने लगा है, कुछ बंद कर दिए गए हैं, ऐसे समाचार मिल रहे हैं। चावल निर्यातकों एवं स्टाकिस्टों की लिवाली बढ़ जाने से राइस मिलों एवं मंडियों में सभी तरह के बारीक चावल के भाव गत सप्ताह में 200/250 रुपए तेज हो गए हैं। हैं।
आगे के भी राइस मिलों द्वारा चावल के भाव बढ़ाकर व्यापार किया गया है, स्टाक के माल पिछले दिनों मंदे में कट गये थे, जिससे हाजिर माल की कमी बनी हुई है। अभी भी 3550/3600 रु प्रति कुंतल के भाव में बिकने वाला 1509 धान से निर्मित सेला चावल 6500/6600 रु प्रति कुंतल के पड़ते में बन रहा है, लेकिन बाजार में इसके भाव 6350/6400 चल रहे हैं।
मक्की में तेजी नुकसानदायक
चालू सप्ताह मध्य प्रदेश की बिहार में जो जो मक्की के भाव 2150/2200 रु प्रति कुंतल गोदाम पहुंच में चल रहे थे, उसके भाव उपर में 2050/2100 रु प्रति कुंतल रह गए। हरियाणा पंजाब पहुंच में नमी के अनुसार मक्की के भाव 2380/2410 रु तथा राजस्थान की बढ़िया मक्की के 2430 रुपए बोलने लगे हैं।
अब इन भावों में तेजी की गुंजाइश नहीं है, क्योंकि मंडियों में नमी वाली मक्की की आवक 10-12 दिनों से बढ़ने लगी है, गोदाम खपत वाली कंपनियों में माल एक सप्ताह से लगातार उतर रहा है, लेकिन इन भावों में अब खरीद करना चाहिए। 2400 में जाने की बजाय अभी मंडियों में स्टॉक रुकने लगा है।
बाजरा में ठहर कर तेजी
पिछले दिनों सरकार द्वारा लगातार बफर स्टॉक का बाजरा 2375 मंदे भाव में नीलामी पर बेचा गया था, जिससे मंदे का दलदल जरूर आ गया था, जो घटे भाव में लगातार लिवाली चलने से बाजार छलांग लगाकर मौली बरवाला पहुंच में 2400/2410 रुपए प्रति कुंतल क्वालिटी अनुसार हो गया।
यहां गोदाम से उठू 2375/2380 रुपए बोल रहे हैं, इन भाव में भविष्य में तेजी की संभावना बन गई है। बाजरे के मुख्य फसल आने में अभी काफी समय बाकी है तथा गर्मी वाला बाजरा भी कम बोया गया है।