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India's First Wildlife Corridor: दिल्ली–मुंबई एक्सप्रेसवे पर बना देश का पहला वाइल्डलाइफ कोरिडोर — बाघ व भालुओं को मिलेगा सुरक्षित रास्ता

 
India's First Wildlife Corridor

India's First Wildlife Corridor: देश में पहली बार भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) ने ऐसा राजमार्ग बनाया है, जो विकास के साथ-साथ वनों और वन्यजीवों की सुरक्षा को भी ध्यान में रखता है। 12 किलोमीटर लंबा वन्यजीव गलियारा दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का हिस्सा है और रणथंभौर टाइगर रिजर्व के बफर ज़ोन से होकर गुजरता है।



यह कॉरिडोर खास क्यों है?

यह भारत का पहला राजमार्ग है जिसे न केवल वाहनों के लिए बल्कि वन्यजीवों के लिए सुरक्षित मार्ग के लिए भी बनाया गया है। इस गलियारे में...

5 बड़े वन्यजीव ओवरपास (प्रत्येक 500 मीटर लंबा) बनाए गए हैं।

1.2 किलोमीटर लंबा अंडरपास भारत का सबसे लंबा वन्यजीव अंडरपास है।
यह क्षेत्र रणथंभौर और चंबल घाटी के बीच स्थित है, जहाँ बाघ, भालू, चिंकारा, नीलगाय और कई अन्य वन्यजीव पाए जाते हैं।India's First Wildlife Corridor



निर्माण के दौरान सावधानी बरतें

एनएचएआई के क्षेत्रीय अधिकारी प्रदीप अत्री ने कहा कि यह दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेसवे का सबसे चुनौतीपूर्ण हिस्सा है क्योंकि यह रणथंभौर वन्यजीव अभयारण्य के बफर जोन में आता है।



यह काम भारतीय वन्यजीव संस्थान और पर्यावरण मंत्रालय के निर्देशों पर किया गया था।
भूमि की प्राकृतिक संरचना में बदलाव किए बिना अंडरपास और ओवरपास बनाए गए थे, ताकि जानवर बिना किसी बाधा के चल सकें।
क्षेत्र की स्थलाकृति को बनाए रखने के लिए राजमार्ग के लगभग 5 किमी हिस्से को या तो ऊपर या नीचे किया गया था।India's First Wildlife Corridor



पशुओं की सुरक्षा के लिए किए गए कड़े कदम

राजमार्ग के दोनों ओर 4 मीटर ऊंची दीवार बनाई गई थी ताकि जानवर गलती से सड़क पर न आएं।
2 मीटर ऊंची ध्वनि अवरोध दीवारें स्थापित की गईं ताकि वन्यजीव यातायात की आवाज से परेशान न हों।
निर्माण के दौरान हर 200 मीटर पर गश्त करने के लिए श्रमिकों को तैनात किया गया था ताकि किसी भी जानवर को नुकसान न पहुंचे।
इसके कारण पूरी परियोजना में एक भी वन्यजीव दुर्घटना नहीं हुई। निर्माण के बाद लगाए गए कैमरा ट्रैप में बाघ और भालू को भी इन मार्गों का उपयोग करते देखा गया था।India's First Wildlife Corridor



पर्यावरण के लिए उठाए गए कदम

गलियारे के चारों ओर लगभग 35,000 पेड़ लगाए गए थे।
प्रत्येक 500 मीटर पर वर्षा जल संचयन प्रणाली स्थापित की गई थी।
पानी बचाने के लिए बूंद सिंचाई का उपयोग किया जाता था।
निर्माण में कम अपशिष्ट विधि और मॉड्यूलर फॉर्मवर्क का उपयोग किया गया ताकि पर्यावरण पर कम प्रभाव पड़े।India's First Wildlife Corridor



विकास और प्रकृति का संतुलन

यह वन्यजीव गलियारा भारत में बुनियादी ढांचे के विकास और जैव विविधता संरक्षण का एक नया प्रतिमान बन गया है। अब यह परियोजना दर्शाती है कि अगर सोच सही है, तो राजमार्ग निर्माण जैसी बड़ी परियोजनाएं भी पर्यावरण और वन्यजीवों को नुकसान पहुंचाए बिना पूरी की जा सकती हैं।India's First Wildlife Corridor