देश का इकलौता शहर! जहाँ आज भी कायम है 73 साल पुराना अनोखा सिस्टम , रिक्शे से सफर के लिए कटाना होता है टिकट
यह रिक्शा चलाने वाला शहर उत्तराखंड में स्थित है और कहीं और नहीं। इसे नैनीताल कहा जाता है। यहां से पहाड़ों, झीलों और हरे-भरे इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। साथ ही, यह अनूठी परंपरा भी सभी को आश्चर्यचकित करती है।
Jun 11, 2025, 16:42 IST
Ajab Gajab : बस, ट्रेन, उड़ान से यात्रा करने के लिए आपने टिकट लेकर भी बहुत सवारी की होगी, लेकिन अगर कोई आपसे कहता है कि आपको रिक्शा से जाने के लिए टिकट लेना है, तो आपको पहले तो विश्वास ही नहीं होगा। लेकिन यह बिल्कुल सच है। यह परंपरा अब 73 वर्षों से चल रही है।
यह रिक्शा चलाने वाला शहर उत्तराखंड में स्थित है और कहीं और नहीं। इसे नैनीताल कहा जाता है। यहां से पहाड़ों, झीलों और हरे-भरे इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। साथ ही, यह अनूठी परंपरा भी सभी को आश्चर्यचकित करती है।
दरअसल, आपने रिक्शा से जाते समय सीधे रिक्शा चालक को पैसे दिए होंगे, लेकिन नैनीताल शहर में आपको टिकट के लिए सीधे पैसे नहीं देने पड़ते, लेकिन आपको नियमित रूप से टिकट काटना पड़ता है। इस परंपरा को नैनीताल की विरासत का हिस्सा माना जाता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नैनीताल में वर्ष 1942 से हैंड रिक्शा चलने लगे। समय के साथ पैडल रिक्शा और अब ई-रिक्शा भी चलने लगे। रिक्शा बदल गए लेकिन जो चीज आज भी वही है वह है टिकट प्रणाली। यात्रियों को टिकट पाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता है। कहा जाता है कि रिक्शा टिकटिंग की व्यवस्था 1952 में शुरू हुई थी।
नैनीताल में मॉल रोड पर मल्लीताल और तल्लीताल के बीच रिक्शा चलते हैं। इसके अलावा, शहर में इसकी अनुमति नहीं है। दोनों के बीच की दूरी करीब 1.2 किलोमीटर है। जहाँ लोग टिकट खरीदते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका किराया वर्तमान में 15 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 20 रुपये करने की मांग की जा रही है।
यह रिक्शा चलाने वाला शहर उत्तराखंड में स्थित है और कहीं और नहीं। इसे नैनीताल कहा जाता है। यहां से पहाड़ों, झीलों और हरे-भरे इलाकों का विहंगम दृश्य दिखाई देता है। साथ ही, यह अनूठी परंपरा भी सभी को आश्चर्यचकित करती है।
दरअसल, आपने रिक्शा से जाते समय सीधे रिक्शा चालक को पैसे दिए होंगे, लेकिन नैनीताल शहर में आपको टिकट के लिए सीधे पैसे नहीं देने पड़ते, लेकिन आपको नियमित रूप से टिकट काटना पड़ता है। इस परंपरा को नैनीताल की विरासत का हिस्सा माना जाता है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, नैनीताल में वर्ष 1942 से हैंड रिक्शा चलने लगे। समय के साथ पैडल रिक्शा और अब ई-रिक्शा भी चलने लगे। रिक्शा बदल गए लेकिन जो चीज आज भी वही है वह है टिकट प्रणाली। यात्रियों को टिकट पाने के लिए लंबी कतारों में इंतजार करना पड़ता है। कहा जाता है कि रिक्शा टिकटिंग की व्यवस्था 1952 में शुरू हुई थी।
नैनीताल में मॉल रोड पर मल्लीताल और तल्लीताल के बीच रिक्शा चलते हैं। इसके अलावा, शहर में इसकी अनुमति नहीं है। दोनों के बीच की दूरी करीब 1.2 किलोमीटर है। जहाँ लोग टिकट खरीदते हैं। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसका किराया वर्तमान में 15 रुपये है, जिसे बढ़ाकर 20 रुपये करने की मांग की जा रही है।