गंगासिंह विश्वविद्यालय में संस्कृत संकाय खोलने के लिए कुलपति को सौपा ज्ञापन
THE BIKANER NEWS:-बीकानेर, 12 जून 2025सनातन धर्म साधना पीठ एवम भैरव साधक समिति के द्वारा बीकानेर क्षेत्र के संस्कृत विद्यार्थियों के लिए महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय में संस्कृत संकाय की स्थापना की जाए,जिसके हेतु आज पीठ के एक शिष्टमंडल ने कुलपति मनोज दीक्षित को ज्ञापन दिया गया।
ज्ञापन में कुलपति महोदय को बताया गया कि विश्वविद्यालय ने विगत वर्षों में शिक्षा, शोध तथा सामाजिक विकास के विविध क्षेत्रों में उल्लेखनीय उपलब्धियाँ प्राप्त की हैं।
विश्वविद्यालय का यह निरंतर शैक्षिक उत्कर्ष अत्यंत प्रेरणादायक है।वर्तमान में संस्कृत भाषा, जो हमारी सांस्कृतिक, दार्शनिक एवं वैज्ञानिकी परंपरा की संवाहिका रही है, उच्च शिक्षा के क्षेत्र में अपेक्षित स्थान नहीं प्राप्त कर पा रही है। संस्कृत न केवल एक भाषा है, अपितु यह भारतीय ज्ञान की जड़ है—जिसमें वेद, उपनिषद्, न्याय, योग, आयुर्वेद, साहित्य, व्याकरण एवं अनेक शास्त्रों का समृद्ध भंडार निहित है। ऐसे में यह अत्यंत आवश्यक प्रतीत होता है कि महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय जैसे प्रतिष्ठित संस्थान में संस्कृत भाषा के गवेषणात्मक अध्ययन, शिक्षण तथा अनुसंधान हेतु एक स्वतंत्र संस्कृत संकाय की स्थापना की जाए। यह संकाय न केवल छात्रवर्ग को लाभान्वित करेगा, अपितु विश्वविद्यालय की शैक्षणिक गरिमा को भी एक नवीन आयाम प्रदान करेगा।
प्रतिनिधिमंडल ने विश्वविद्यालय में संस्कृत भाषा और साहित्य की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह न केवल हमारी सांस्कृतिक धरोहर है, बल्कि इसमें वैज्ञानिक, गणितीय, चिकित्सा एवं दर्शनशास्त्र की भी अपार संपदा निहित है। उन्होंने बताया कि विश्वविद्यालय स्तर पर संस्कृत संकाय की स्थापना से विद्यार्थियों को भारतीय ज्ञान परंपरा से सीधे जुड़ने का अवसर मिलेगा और शोध की संभावनाएं भी व्यापक होंगी।
ज्ञापन में यह भी उल्लेख किया गया कि वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में भी भारतीय भाषाओं को बढ़ावा देने पर विशेष बल दिया गया है, ऐसे में संस्कृत संकाय की स्थापना समय की आवश्यकता है।
इस अवसर पर कुलपति महोदय ने ज्ञापन को सकारात्मक रूप से लेते हुए कहा कि विश्वविद्यालय प्रशासन इस विषय पर गंभीरता से विचार करेगा और शीघ्र ही संबंधित विभागों के साथ विमर्श कर उचित निर्णय लिया जाएगा।
शिष्टमंडल में सनातन धर्म प्रचारक पंडित भाईश्री, शिक्षाविद् डॉ मदन मोहन पुरोहित, पवन राठी, पार्षद नंदकिशोर गहलोत आदि शामिल थे।